Sunday, May 12, 2024

राम पुनियानी

लेखक आईआईटी मुंबई में पढ़ाते थे और सन 2007 के नेशनल कम्यूनल हार्मोनी एवार्ड से सम्मानित हैं

क्या मोदीजी कांग्रेस के न्याय पत्र से डर गए हैं?

विगत कई जनसभाओं में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कांग्रेस के घोषणापत्र के खिलाफ तथ्यहीन बातें की हैं क्या वह उनकी संभावित हार और अपने विकास कार्यों के प्रति जनता के अविश्वास का नतीजा है। आखिर वह क्यों इतनी अनर्गल और सांप्रदायिक बातें कर रहे हैं?

बाबाओं के इलाज को खतरनाक बताया सुप्रीम कोर्ट ने

आज हमारे देश में तार्किक सोच और पद्धतियों से परे केवल आस्था पर आधारित ज्ञान का ढोल पीटा जा रहा है। अनेक बाबा इस काम को अंजाम दे रहे हैं लेकिन शैक्षणिक संस्थाओं में भी आस्था आधारित ज्ञान विद्यार्थियों के दिमाग में ठूँसने का काम किया जा रहा है।

इस्लामोफोबिया अन्य धर्मों के प्रति फोबिया से इतना अलग क्यों?

दुनिया भर में जितना इस्लामोफोबिया की चर्चा होती है, उतनी अन्य धर्मों के फोबिया की नहीं जबकि अलग-अलग देशों में प्रचलित और हावी धर्मों के फोबिया का सामना लोगों को करना पड़ता है। क्यों इस्लामोफोबिया अन्य धर्मों के फोबिया से इतना अलग है पढ़िये इस लेख में 

विघटनकारी नैरेटिव को मजबूती देते हुए, सच को तोड़-मरोड़ कर दिखाती फिल्म स्वातंत्र्यवीर सावरकर 

वर्ष 2014 के बाद, जब से लोगों के दिमाग में राष्ट्रवादी विचारधारा ज्यादा मजबूती से हावी हुई है, तब से समाज के सांस्कृतिक परिदृश्य में इसका प्रभाव भी बढ़ा है। जिसमें एक माध्यम सिनेमा भी है, जिसके माध्यम से जनता सबसे ज्यादा अपने ज्ञान को समृद्ध करने पर विश्वास करती है। अभी हाल में ही रणदीप हुड्डा की फिल्म स्वातंत्र्यवीर सावरकर रिलीज हुई है, जिसमें सावरकर को झूठे तथ्यों के साथ महान बताया गया है। 

लोकसभा चुनाव : भाजपा के चार सौ पार दावे की असलियत क्या है?

भाजपा अपने बल पर 2014 से सत्ता में है और तब से उसने कई बार संविधान की उद्देशिका का प्रयोग, उसमें से धर्मनिरपेक्ष व समाजवादी शब्द हटाकर किया है। अबकी लोकसभा चुनाव में भाजपा, 400 पार का नारा दे रही है। उनके सांसद अनंत कुमार हेगड़े ने यह बयान दिया कि लोकसभा में 400 सीटें आने पर भारतीय संविधान में संशोधन आसानी से किया जा सकता है। क्या संविधान में संशोधन करना इतना आसान होगा? यह आने वाला समय ही बता पाएगा ।

बीजेपी सरकार में तार्किक सोच और वैज्ञानिक पद्धति का अभाव

कोई भी समाज वैज्ञानिक पद्धति और तार्किकता के आधार पर ही आगे बढ़ सकता है । वर्तमान बीजेपी सरकार से वैज्ञानिकों के एक समूह ने संयुक्त बयान जारी कर अनुरोध किया है कि वह वैज्ञानिक सोच और पद्धति को अपने क्रिया कलापों से कमजोर करने से बाज आए।

मंदिर आयोजनों में मोदी की व्यस्तता उपनिवेशवाद से मुक्ति नहीं है

किसी भी समाज का विकास लोगों को रोजगार देने, रोजगार के नए अवसर पैदा करने से होता है।बजाय मंदिर और मस्जिदों के उद्घाटन करने के। मोदी इन दिनों लगातार देश और विदेश में मंदिर उदघाटन कर रहे हैं, जो उपनिवेशवाद की तरफ बढ़ता एक कदम है।

आम चुनाव के बीच क्या है भारतीय मुसलमानों के समक्ष विकल्प

जैसे-जैसे 2024 के आमचुनाव नजदीक आ रहे हैं, कुलीन वर्ग के कुछ मुसलमान अपने समुदाय से अपील कर रहे हैं कि भाजपा के बारे...

लोगों पर शाकाहार थोपना एक राजनैतिक एजेंडा

आज राजनैतिक कारणों से इस सोच को बढ़ावा दिया जा रहा है कि मांसाहार करने वाले नफरत के पात्र हैं। हम बिना अतिश्योक्ति के खतरे के कह सकते हैं कि अल्पसंख्यक समुदाय को खलनायक सिद्ध करने के लिए शाकाहार का सामाजिक और राजनैतिक हथियार के रूप में प्रयोग किया जा रहा है।