Wednesday, January 15, 2025
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पूर्वांचल का चेहरा - पूर्वांचल की आवाज़

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awadh ka kisan vidroh

मेरे लिए लिखने का मतलब निर्बल और सताए हुए लोगों के साथ खड़ा होना है (कथाकार,इतिहासकार सुभाषचन्द्र कुशवाहा से अपर्णा की बातचीत )

मेरी कहानियों में मेरा गांव हैं। रचनाओं में लेखक का अतीत और वर्तमान छिपा होता है। वह विगत के यथार्थ से ग्रहण कर आगत को बुनता है। आगत के बेहतर स्वप्न या बुरे दु:स्वप्न को देखता है। बेहतर या बुरी दुनिया की परिकल्पना करता है। यह परिकल्पना कागजों पर उतरकर लेखन का स्वरूप ग्रहण करती है। लेखक क्यों लिखता है, इसका जवाब लेखक की रचनाओं में छिपा होता है। रचनाएं खुद बताती हैं कि क्यों लिखी गयीं या लिखी जा रही हैं? इस संबंध में मौन साधे बहुत कुछ बोलती हैं रचनाएं।

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