बुजुर्ग समाज के मूल्यवान सदस्य हैं, जिन्होंने अपनी उम्र का बड़ा हिस्सा अपने समाज की बेहतरी के लिए लगाया और उन्हें बुढ़ापे में हमारी देखभार व आत्मीयता की जरूरत होती है। लेकिन समाज में लोग अपने बुजुर्गों की देखभाल करने से लगातार बच रहे हैं। उनकी स्थिति आज दयनीय हो गई, क्योंकि एक समय के बाद शरीर को तमाम तरह की बीमारियां घेर लेती हैं। इलाज के लिए बुजुर्गों के पास पैसे नहीं होते, ऐसे में सरकार द्वारा कुछ स्वास्थ्य योजनाएँ लाई गई हैं, जिससे वे अपना इलाज करा सकें।
आज सरकार रेवडियों की तरह आयुष्मान कार्ड तो बना रही है लेकिन सालाना स्वस्थ्य का बजट नहीं बढ़ा रही है। ऐसे में सरकार की गरीब लोगों को अच्छी और मुफ्त स्वास्थ्य योजना का लाभ देने की मंशा पर बड़ा सवाल खड़ा होता है।