चुनावी दौर में पूर्वाञ्चल के गांवों के किसान अपनी समस्याओं को लेकर खदबदा रहे हैं और पिछले दस वर्षों से सत्ता पर काबिज भाजपा सरकार के खिलाफ गुस्से से भरे हैं। विगत वर्षों में किसानों ने अपनी समस्याओं को लेकर देशव्यापी आंदोलन चलाया लेकिन सरकार से कोई ठोस आश्वासन मिलने की बजाय उनका दमन ही किया गया। इन बातों से किसानों के भीतर एक आक्रोश जमा हुआ है और उन्होंने सत्ता परिवर्तन का मन बना लिया है।
सरकार ने भारी प्रचार के साथ 'पशु किसान क्रेडिट योजना' लागू कर दी है लेकिन बैंक इस योजना के तहत लोन नहीं दे रहे हैं। बैंक इस योजना के प्रति उदासीन हैं। बैंक पशुपालकों को कभी पशुपालन विभाग भेज रहे हैं तो कभी कागजों में कमी बताकर वापस जाने को कह दे रहे हैं। इससे पशुपालकों में काफी रोष है। पशुपालकों का कहना है कि पशुपालकों के लिए सरकार ने कम ब्याज की दर पर योजना तो शुरू कर दिया, लेकिन बैंक लोन पास नहीं कर रहे हैं।