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जाने कब से जमीन तलाश रही है बांस की खपच्चियों में उलझी हुई ज़िंदगी
यही झोंपड़ा उसका घर है, पर इसे घर भी भला कैसे कहा जा सकता है? बस पन्नियों का एक पर्दा भर है, इंसानों से भी और आसमान से भी। पन्नियों को ही पर्दे सा घेर लिया गया है और फिलहाल यही इनका घर है।
छत्तीसगढ़ के बसोड़ जिनकी कला के आधे-अधूरे संरक्षण ने नई पीढ़ी की दिलचस्पी खत्म कर दी है
छत्तीसगढ़ में बांस की कलाकारी करनेवाले बड़े से बड़े लोक कलाकार और दस्तकार की तकलीफ यह है कि उसके बच्चे इस कला के प्रति...