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ब्राह्मणवादी नफरत और षड्यंत्र का शिकार एक कृषक-कवि

घाघ की ज्यादातर कहावतें कृषि से सम्बन्धित हैं। भारत एक कृषि प्रधान देश रहा है और आज भी कमोबेश इसकी यह स्थिति बनी हुई है। कृषि पूरी तरह मौसम पर आश्रित उद्यम है और मौसम के मिजाज का पूर्वानुमान आसान नहीं है। घाघ इसी काम को आसान बनाते हैं। उनकी कहावतें मौसम के बारे में लगभग सटीक भविष्यवाणी करती हैं। इतना ही नहीं, वह विभिन्न फसलों को बोने के लिये जमीन और चक्र का भी निर्धारण करती हैं। अधिक पानी और कम पानी वाली फसलों की बात करती हैं। पशुओं की नस्लों की चर्चा करती हैं। किसानों की घर-गृहस्थी की बात करती हैं। कहने का तात्पर्य यह है कि घाघ की कहावतें स्वयं उनकी जाति को इंगित करती हैं।

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