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Dalit Sahitya

दलित साहित्य रसात्मक नहीं रचनात्मक साहित्य है

दलित-साहित्य केवल दलितों द्वारा रचित सहित्य है। दलितों की पीड़ा दलित-साहित्य का विषय है। अत: उसकी तह में आक्रोश, चीख-पुकार सामाजिक परिवर्तन हेतु फुफकारती ललक आदि जैसा भाव उत्पन्न होना स्वाभाविक ही है। किंतु इस चीख-पुकार में साहित्यिक गुणों का अभाव दलित-साहित्य को शिखर प्रदान करने में बाधक तो रहेगा ही।

राजनीति द्वारा हर स्तर पर प्रभावित जीवन को साहित्य कैसे रचेगा?

समय निरंतर बदलता है और उसके साथ जीवन और परिवेश भी। जैसे किसान के हल को ले लीजिए। आज से लगभग पंद्रह साल पहले...

सच का आईना दिखाती सोच पत्रिका का प्रवेशांक सफर

नव दलित लेखक संघ (नदलेस) ने अपने गठन (14 सितम्बर, 2021) के समय ही छमाही पत्रिका सोच को प्रकाशित करने का बीड़ा उठाया था।...

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