वर्तमान में महिलाओं पर होने वाले अत्याचार और शोषण के मामलों में लगातार इजाफा हुआ है, जिसके लिए सरकार की ओर से महिलाओं की सुरक्षा के लिए कई महत्वपूर्ण योजनाएं और कार्यक्रम चलाये जा रहे हैं। इसके अतिरिक्त 24 घंटे महिला सुरक्षा हेल्पलाइन भी संचालित की जा रही है। इसके लिए स्कूल और कॉलेज में विशेष अभियान चला कर लड़कियों को जागरूक किया जा रहा है। किशोरियों को इसकी उपयोगिता और महत्ता के बारे में बताना चाहिए ताकि लड़कियां इसका उपयोग कर स्वयं को अनहोनी से बचा सकें।
आज भी वंचित समुदायों की किशोरियों का भविष्य वंचनाओं से ग्रस्त है। इन समुदायों के कुछ परिवार स्थायी रूप से कुछ ही स्थानों पर आबाद होते हैं और कुछ मौसम के अनुरूप पलायन करते रहते हैं। इसका सबसे अधिक नकारात्मक प्रभाव किशोरियों की शिक्षा और स्वास्थ्य पर पड़ता है। इसके साथ ही उन्हें बोझ और पराया धन समझने की प्रवृत्ति भी किशोरियों के समग्र विकास में बाधा बनती है। इससे न केवल उनकी शिक्षा बल्कि शारीरिक और मानसिक विकास भी रुक जाता है। इस तरह उन्हें सबसे पहले शिक्षा से वंचित कर दिया जाता हैं।
नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के अनुसार साल दर साल महिलाओं पर होनेवाली घरेलू हिंसा में लगातार बढ़ोत्तरी नजर आती है ,महिलाओं के साथ भेदभाव और हिंसा समाज के लिए एक अभिशाप है। इस हिंसा को रोकने के महिलाओं को जागरूक एवं शिक्षित करना होगा ताकि वे अपने खिलाफ होनेवाली हिंसा का प्रतिकार कर सकें। इसमें सामाजिक संस्थाओं को भी आगे आकर महिलाओं की मदद करनी होगी। लेकिन केवल जागरूकता की बात करके समाज अपनी जिम्मेदारियों से मुक्त नहीं हो सकता ।
सामाजिक स्तर पर बालिका शिक्षा के प्रति जागरूकता की आवश्यकता है ताकि समाज लड़कों की तरह लड़कियों की शिक्षा के महत्व को भी समझ सके। यह एक हकीकत है कि हमारे देश में किशोरियों को शिक्षा प्राप्त करने में बाधा का सामना करना पड़ता है। ग्रामीण क्षेत्रों के अलावा देश के शहरी गरीबी इलाकों में भी किशोरियों को शिक्षा के लिए कई संघर्षों से गुज़रना होता है।
पढ़ने -लिखने की उम्र में आज बच्चे और युवा नशे की आदत के शिकार हो रहे हैं। यह अच्छा संकेत नहीं है। खासकर गांव में नशे का बढ़ता चलन बढ़ गया है। पूरे देश में डेढ़ करोड़ बच्चे नशे का सेवन करते हैं। इसमें से कुछ नशा तो ऐसा है जो सर्व सुलभ नहीं है। सरकार नशा मुक्ति अभियान तो चलाती है लेकिन शराब और नशे की अन्य चीजों पर रोक नहीं लगाती क्योंकि यह अच्छे राजस्व मिलने का साधन होते हैं, सवाल यह है कि ऐसे में नशा मुक्ति अभियान कितना सफल हो पाएगा?