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क्या सरकार के पास घुमंतू जनजातियों के मुकम्मल सम्मान और पहचान की कोई योजना है?
घुमंतू समुदायों का जीवन बहुत ही नारकीय है। देश में लगभग 20 करोड़ लोग विमुक्त, घुमन्तू व अर्द्ध-घुमन्तू जनजातियों के अंतर्गत आते हैं। यह लोग सड़क के किनारे, शहर-गाँव से बाहर झोपड़ी बनाकर रहते हैं। सरकार की किसी भी योजना का लाभ इन्हें नहीं मिलता क्योंकि इनका आधार कार्ड नहीं बन पाता है, इस वजह से सुविधा का लाभ ये नहीं उठा पाता। इनके बच्चे स्कूल जाने से वंचित रह जाते हैं और भीख मांगने को मजबूर रहते हैं। यह समुदाय तिरस्कृत जीवन जीने को मजबूर हैं। सरकार के पास इस समुदाय के लिए किसी प्रकार की कोई योजना नहीं है।