एक सिपाही के पास ऐसे राष्ट्रीय स्तर के प्रकरण पर बोलने की इजाजत नहीं होती है। पुलिस व्यवस्था में सिपाही के पदक्रम को देखते हुये कहा जाय तो उसकी हैसियत नहीं होती है। जिस प्रकरण में प्रत्यक्ष रूप से जिला प्रशासन के आलाधिकारी सरकारी मंशा को अमलीजामा पहनाने में लगे हुये हों, वहां एक सिपाही ‘वर्कआउट’ का प्रसाद नहीं ले सकता। यह हो सकता है कि सिपाही द्वारा कही गई बातें सर्व सेवा संघ से जुड़े लोगों के लिए एक इशारा हो कि सर्व सेवा संघ सहित पूरे परिसर को लेकर सरकार और जिला प्रशासन का इरादा क्या है?