गाँव उजाड़े जाने पर चालीस हज़ार की आबादी किस घाट लगेगी इसका कोई खाका अब तक नहीं बना है क्योंकि इसमें सरकार और प्रशासन डंडे के बल पर अब निपटा लेना चाहते हैं। जबकि जनता चाहती है कि बातें आमने-सामने और संविधान के दायरे में हो। इस आन्दोलन ने प्रभावित होने वाली जनता को न केवल जागरूक बनाया है बल्कि प्रशिक्षित भी किया है।
सरकार ने गांव पर हमला किया है। जिंदगी पर हमला किया है। जनता में धर्म के नाम पर अंधविश्वास फैलाकर हमारी जीवन पर हमला किया जा रहा है। किसान आंदोलन में आंदोलनकारियों को आतंकवादी तक कहा गया। आज रेल की पटरियां नीलाम हो रहीं हैं। पटरी हमारी रेल मुनाफाखोर कंपनियों का हो रहा है। ठीक यही हाल एयरपोर्ट का भी हो रहा है।