आजमगढ़ जिले के मंदुरी गाँव में प्रस्तावित आजमगढ़ अन्तरराष्ट्रीय एयरपोर्ट के लिए विस्थापित होने वाले आठ गाँव के लोग पिछले 70 दिनों से स्वत: स्फूर्त आंदोलन चला रहे हैं। इन दिनों ने अभी तक क्या हासिल किया? यह सवाल अब अनेक लोग करने लगे हैं जिसका सीधा जवाब यह है कि इस आंदोलन ने जनता को अपने अधिकारों के लिए खड़ा होना सिखा दिया है। महिलाओं ने अपनी बात रखना सीख लिया है और धीरे-धीरे सभी प्रभावित गाँवों के लोग भू अधिग्रहण अधिनियम 2013 के बारे में जान गए हैं। वे विस्थापन से पहले ग्राम पंचायत और मुआवजा नीति की स्पष्ट अधिसूचना की अनिवार्यता के बारे में बात कर रहे हैं। लेकिन सरकार की ओर से एक चुप्पी है। न कोई अधिकारी आता है न कोई नापजोख होती है। बस धरनास्थल पर एक पुलिसकर्मी मौजूद रहता है।
जमुआ हरिराम गाँव की निवासी नीलम कहती हैं कि ‘शुरू में जो आपाधापी थी वह अब नहीं है। अब कोई सरकारी आदमी नहीं आता लेकिन गाँवों में कुछ लोग जाकर लोगों से कह रहे हैं कि मुआवजा ले लो। सरकार बहुत दे रही है। क्या पता कल क्या हो?’
किसान नेता वीरेंद्र यादव कहते हैं कि ‘अभी सरकार की कोई नीति स्पष्ट नहीं है और न ही गाँवों में कोई ग्राम पंचायत ही हुई। इसके बावजूद ज़मीन के दलाल और व्यापारी गाँवों में चक्कर लगाने लगे हैं। वे चाहते हैं कि सस्ते दाम पर अधिक से अधिक ज़मीनें खरीद लें ताकि जब भी यहाँ कुछ हो तब वे तगड़ा मुनाफा पीट सकें। इसीलिए सत्तापक्ष से जुड़े लोग अनाप-शनाप बयान दे रहे हैं और जनता का मनोबल तोड़ने में लगे हैं।’
उनका स्पष्ट इशारा आजमगढ़ के वर्तमान सांसद दिनेश लाल यादव निरहुआ की ओर था जिन्होंने एक कार्यक्रम में आंदोलनकारियों को बाहरी बताया और ग्रामवासियों को सरकारी ज़मीन पर कब्जा करनेवाला बताया। सबसे आपत्तिजनक बात यह थी जब उन्होंने यह कहा कि आजमगढ़ के लोग मनबढ़ हैं और योगी जी ऐसे मनबढ़ों के घुटने तोड़ देते हैं या उन्हें ऊपर भेज देते हैं।
आजमगढ़ के वर्तमान सांसद दिनेश लाल यादव निरहुआ,जिन्होंने एक कार्यक्रम में आंदोलनकारियों को बाहरी बताया
इस बयान की तीखी प्रतिक्रिया हुई। यह किसी भी तरह से संवैधानिक आचरण के विरुद्ध बयान माना गया। किसान नेता राजीव यादव ने निरहुआ के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। वीरेंद्र यादव कहते हैं कि ‘भले ही निरहुआ यहाँ के सांसद हों लेकिन सच मायने में वे बाहरी हैं और उन्हें आजमगढ़ की जनता की ताकत का अंदाज़ा नहीं है। वे और उनका पूरा परिवार ज़मीन की दलाली करता रहा है। वे कॉर्पोरेट के हाथों में खेल रहे हैं। लेकिन एक सांसद की गरिमा के अनुरूप उन्हें अपने आचरण में सुधार करना चाहिए।’
“आवारा पशु खेती बर्बाद कर रहे और आवारा सरकार गरीबों को उजाड़ रही। जिस तरह से किसान आंदोलन ने मुल्क का भविष्य तय किया उसी तरह आज सरदार नेताओं की मौजूदगी ने किसान आंदोलन को मजबूत किया। यह सरकार अडानी के लिए आपकी जमीनें लूटना चाहती है। अगर योगी आदित्यनाथ ने आज़मगढ़ हवाई अड्डे के शिलान्यास करने की कोशिश की तो उनका काले झंडों से स्वागत किया जाएगा।”
जहां एक तरफ खिरिया बाग ज़मीन और मकान बचाने के लिए प्रतिरोध का मुकाम बन गया है वहीं हवाओं में कई तरह की शोभन-अशोभन बातें फैली हुई हैं। निरहुआ के आपत्तिजनक बयानों पर लोग चटखारे लेते हैं। मसलन असली यादव देश के, बाकी सब अखिलेश के। मंदुरी चौराहे पर चाय की एक दुकान पर एक नौजवान ने कहा कि ‘गाँव सबका जा रहा है लेकिन संघ बीजेपी इसे यादव बनाम यादव की लड़ाई बना रहा है। इसमें सांसद निरहुआ एक मुहरा है। हो सकता है कल यहाँ जातीय भिड़ंत हो जाय और आंदोलन चलाने वालों को अखिलेश का आदमी मानकर जेल में बंद कर दिया जाय।’
इन सब बातों के बीच स्वत: स्फूर्त ढंग से खड़े हुये इस आंदोलन में मकान ज़मीन बचाओ संघर्ष समिति के तत्वावधान में अनेक संगठनों के लोग इसमें बड़ी सक्रियता से शिरकत कर रहे हैं। किसान संग्राम समिति, रिहाई मंच, अखिल भारतीय किसान महासभा, जनमुक्ति मोर्चा, संयुक्त किसान मजदूर संघ और जय किसान आंदोलन आदि समर्थन में सहयोग दे रहे हैं। बनारस से लोकविद्या आश्रम, सीजेपी, गंगा सेवा समिति, आशा ट्रस्ट, गाँव के लोग ट्रस्ट, एपवा, मेहनतकश मुक्ति मोर्चा और कम्युनिस्ट फ्रंट आदि संगठनों से जुड़े साथियों ने आजमगढ़ पहुँचकर आंदोलन का समर्थन किया। इस तरह एक संघर्ष परवान चढ़ रहा है।
खिरिया बाग़ आन्दोलन की पृष्ठभूमि
संयुक्त किसान मोर्चा (आजमगढ़) की जांच-पड़ताल टीम ने ग्रामीणों से जाना कि 12-13 अक्टूबर 2022 को बिना नोटिस दिये एसडीएम तहसीलदार, एसओ, सैकड़ों पीएससी, पुलिस बलों के साथ रात में आकर जमुआ हरिराम गांव में सर्वे करने लगे। ग्रामीणों ने जब इसका विरोध किया तो उनको रासुका की धमकी देते हुए, मार-पिटाई करने लगे, जिसमें दो महिलाओं (सावित्री व सुनीता) और दो पुरुषों (कपिल व संजीव यादव को चोटें आईं। ग्रामीणों ने बताया कि पुलिस चार लोगों को थाने में ले जाकर बंद भी कर दिया गया।
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राजीव यादव कहते हैं कि ‘गाँवों के अधिकांश लोग सीमांत किसान हैं और ज़मीन ही आजीविका का आधार है। बरसों से लोग खेती-किसानी करके जी-खा रहे हैं। अचानक उठी सर्वे की बात से लोग घबरा उठे। अपनी पुश्तैनी जमीन चली जाने के सदमें के चलते गदनपुर गांव के लल्लन राम व जिगिना गांव के जवाहिर यादव की मौत हो चुकी है। पुनः जमीन छिनने के आतंक से कई गांव की जनता क्रमिक धरना पर उतर चुकी है। जमुआ हरिराम गांव के प्राथमिक स्कूल के पास रोजाना शाम 3:00 बजे से 5:00 बजे तक जनसभा धरना और जनसभा हो रही है।’
किसान नेता रामनयन यादव ने बताया कि ‘बड़े पूंजीपतियों के लिए सरकार जनता की जमीनों को छिनने की साजिश कर रही है। इंडियन एयरलाइंस, कोयला, खनन, रेलवे, बीमा आदि सार्वजनिक संस्थानों को बेचने व निजीकरण करने पर तुली सरकार जनता का विश्वास खो चुकी है। इसके द्वारा जमीन छीनने के हर कदम में पूंजीपतियों की दलाली छिपी लगती है। प्रदेश में पहले मुसलमानों के खिलाफ बुलडोजर चलाया गया,अब गरीबों के खिलाफ चलाया जाने लगा है। आजमगढ़ में ही बंजर, परती, जी.एस. जमीनों पर बसे गरीबों को बेदखल करने का नोटिस आ चुका है। पूर्वी उ.प्र.के किसानों, मजदूरों को सबसे सस्ता व लाचार मजदूर बनाया जा रहा है।’
“आजमगढ़ के वर्तमान सांसद दिनेश लाल यादव निरहुआ की ओर था जिन्होंने एक कार्यक्रम में आंदोलनकारियों को बाहरी बताया और ग्रामवासियों को सरकारी ज़मीन पर कब्जा करनेवाला बताया। सबसे आपत्तिजनक बात यह थी जब उन्होंने यह कहा कि आजमगढ़ के लोग मनबढ़ हैं और योगी जी ऐसे मनबढ़ों के घुटने तोड़ देते हैं या उन्हें ऊपर भेज देते हैं।”
धरने पर बैठे किसान नेता राजीव यादव ने कहा कि ‘आगामी दिनों में लखनऊ राजभवन का घेराव, टोल तोड़ कर प्रतिरोध जताने, प्रभावित होने वाले आठ गाँवों में पदयात्रा तथा दूसरी यात्राओं का भी आयोजन होगा। संयुक्त किसान मोर्चा के प्रमुख मुद्दों में एयरपोर्ट विस्तारीकरण के खिलाफ चल रहे विरोध का मुद्दा रहेगा। इस मुद्दे को लेकर पूरे प्रदेश के किसान नेता एकमत हैं और वे एक-एक करके खिरिया के मैदान में आकर किसानों-मजदूरों का समर्थन कर रहे हैं।
समर्थन में लगातार आते रहे हैं राष्ट्रीय किसान नेता
खिरिया बाग़ आन्दोलन आज देश के सबसे महत्वपूर्ण आन्दोलनों में से एक बन गया है और व्यापक किसान आन्दोलन का हिस्सा भी। इसका अपना एक अनुशासन है. महिलाओं की लगातार बढ़ती संख्या ने भी इसे बल दिया है। इस जगह पर देश के सभी बड़े किसान नेता आ चुके हैं।
हरियाणा के किसान नेता गुरुनाम सिंह चढूनी आन्दोलन के पचीसवें दिन यहाँ आये और उन्होंने कहा कि ‘सरकारों से लड़ना हम जानते हैं, क्योंकि कुर्बानी का जज्बा हममे है। हम आंदोलन जीतने के लिए लड़ते हैं चाहे जो भी कुर्बानी देनी होगी हम देंगे। पूरे देश का किसान आंदोलन आपके साथ। जरूरत पड़ी तो हम यहां मोर्चा लगाएंगे। सरकार गांठ बांध ले और अपना हवाई जहाज उड़ाने का सपना छोड़ दे नहीं तो दिल्ली से बड़ा आंदोलन का गढ़ आज़मगढ़ बनेगा। सरकार को समझ लेना चाहिए कि टाइम से चली जाए। किसान कर्जदार होता है तो बैंकों में डिफाल्टर के रूप में उसके फ़ोटो लगाए जाते हैं पर किसी पूंजीपति का कभी फ़ोटो नही लगाया गया। सरकार किसानों को बेइज्जत करती है।’
उत्तराखंड से आये किसान नेता जगतार सिंह बाजवा ने कहा कि ‘जो सरकार आपको उजाड़ना चाहती है हम उसको उसके पूंजीपतियों को उखाड़ फेकेंगे। हमारी एकजुटता इस सरकार को झुका देगी। सत्ता का स्वरूप बदला पर कंपनियों का धंधा नहीं। ये सरकार ईस्ट इंडिया कंपनी का रूप है। किसी भी उद्योगपति का बेटा आज़ादी के आंदोलन में शहीद नहीं हुआ। हमारे पूर्वजों ने देश को आज़ाद कराने की लड़ाई लड़ी। ये माताएं-बहनें तय करेंगी इस लड़ाई की जीत को। संयुक्त किसान मोर्चा आपके साथ रहेगा। सरकार से लड़ाई के लिए संकल्प मजबूत होना चाहिए। सिर्फ एक विकल्प है जीत का। अगर जो पार्टी हमारे साथ नहीं उसके नेता को गांव में घुसने नहीं देंगे।’
संदीप पाण्डेय ने कहा कि ‘आवारा पशु खेती बर्बाद कर रहे और आवारा सरकार गरीबों को उजाड़ रही। जिस तरह से किसान आंदोलन ने मुल्क का भविष्य तय किया उसी तरह आज सरदार नेताओं की मौजूदगी ने किसान आंदोलन को मजबूत किया। यह सरकार अडानी के लिए आपकी जमीनें लूटना चाहती है। अगर योगी आदित्यनाथ ने आज़मगढ़ हवाई अड्डे के शिलान्यास करने की कोशिश की तो उनका काले झंडों से स्वागत किया जाएगा। सरकार ने किसानों-मजदूरों की बात नहीं मानी तो योगी का हेलीकॉप्टर हमारी जमीन पर नहीं उतर पाएगा।’
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किसान नेता राजीव यादव ने कहा कि ‘हरियाणा, उत्तराखंड के किसान नेताओं ने संघर्ष को धार दे दी है। आज़मगढ़ के किसानों ने जो बिगुल फूँका है वह आज सूबे ही नहीं मुल्क के किसान संघर्ष की आवाज से आवाज मिला दी है। पूर्वांचल की धरती पर लड़ी जा रही यह लड़ाई निर्णायक होगी। जमीन के लुटेरे अपना बोरिया-बस्ता बांधकर देश छोड़ने को तैयार हो जाएं।’
नर्मदा बचाओ आन्दोलन की नेता मेधा पाटकर, इलाहाबाद से अम्बेडकर वाहिनी के डॉ. आरपी गौतम, बुलंदशहर से किसान नेता पूनम पंडित, लखनऊ से घंटाघर आंदोलन की नेता अज़रा मोबिन, डॉ संदीप पाण्डेय, एनएपीएम की राष्ट्रीय समन्वयक अरुंधती धुरू, गोरखपुर से भीम आर्मी के रविन्द्र सिंह गौतम, हाईकोर्ट अधिवक्ता संतोष सिंह, बलिया से राघवेंद्र राम, मऊ से अरविंद मूर्ति, अफाक आदि भी धरने के समर्थन में पहुंचे।
सभा को संबोधित करते हुए मेधा पाटकर ने कहा कि ‘जो जमीन पीढ़ियों से हमारे पास है वह हमें अन्न की सुरक्षा के साथ जीवन जीने का अधिकार देती है। सरकार विकास की बात करती है लेकिन विकास का चरित्र क्या होगा इस पर बहस नहीं करती। यह किसानों और मजदूरों की जमीन छीनकर पूंजीपतियों के लिए एयरपोर्ट बना रहे हैं, जिसकी आम जनता को कोई आवश्यकता नहीं है। अगर यह वास्तविक विकास करना चाहते हैं तो किसानों के लिए हर पांच किलोमीटर पर मंडी का निर्माण कराएं।’
मेधा पाटकर ने पंचायत में लोगों से पूछा कि ‘क्या आप जमीन देना चाहते हैं.’ जनता ने कहा हाथ उठाकर एक स्वर में कहा कि नहीं। पाटकर ने कहा कि ‘डीएम साहब क्यों संविधान का पालन नहीं करना चाहते। आज यह किसान पंचायत एक लाइन का प्रस्ताव पारित करती है कि हम किसी भी हाल में अपनी जमीन नहीं देंगे। जिलाधिकारी इस आशय की सूचना उड्डयन मंत्रालय और प्रधानमंत्री कार्यालय को भेज दें।’
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किसान नेता पूनम पंडित ने कहा कि ‘हम न अपनी जान देंगे न जमीन देंगे। सरकार को विकास करना है तो लोगों के लिए अस्पताल और स्कूल बनाए। एयरपोर्ट बनाना फर्जी विकास है। यह जनता के हित में नहीं है। किसी भी हालत में हम यह एयरपोर्ट नहीं बनने देंगे, चाहे हमें बुलंदशहर से आकर यहां रुकना ही पड़े।’
9 नवम्बर को यहाँ पहुंचे संयुक्त किसान मोर्चा के नेता राकेश टिकैत ने कहा कि ‘एक भी किसान अपनी जमीन नहीं देना चाहेगा तो उसकी लड़ाई मैं यहां लड़ूंगा। यहां एक भी किसान जमीन देने को तैयार नहीं है ऐसे में किसी भी हालत में यहां एयरपोर्ट नहीं बनाया जा सकता है। उन्होंने जिलाधिकारी को चेतावनी देते हुए कहा कि किसी भी तरह के उत्पीड़न की कार्रवाई में न जाएं नहीं तो खिरिया का मैदान देश के किसानों के बड़े आंदोलन का मैदान होगा।’
टिकैत ने कहा कि ‘जमीन की लड़ाई आदिवासियों से सीखनी चाहिए कि वे किस तरह से सेना और तोप के आगे जमीन बचाने की लंबी लड़ाई लड़ रहे हैं। यह संघर्ष लंबा है। हम किसानों के साथ हैं। शांति एकता के जरिए ही आन्दोलनों की जीत होती है।’
“किसान नेता राजीव यादव ने कहा कि ग्रामसभाएं तय करेंगी कि जमीन देंगे कि नहीं, किसी सरकार को यह तय करने का अधिकार नहीं कि वो हमारी जमीन ले ले। निरहुआ को जान लेना चाहिए यह फ़िल्म का शो नहीं जीवन बचाने की लड़ाई है। खुद को किसान का बेटा कहने और उसके हक छीनने नहीं देंगे का डायलॉग बंद कर निरहुआ को खिरिया की बाग में बैठी माताओं-बहनों से बात करनी चाहिए।’ राजीव ने कहा कि ‘जब मोदी बोलते हैं कि रोज दो-तीन किलो गाली खाकर उनको पौष्टिकता मिलती है तो उनकी पार्टी के सांसद उलजुलूल ही तो बोलेंगे।’”
भारतीय किसान यूनियन के नेता राजवीर सिंह जादौन कहते हैं कि ‘जमीन, मकान के बाद आने वाले समय में जान बचाने की लड़ाई लड़नी होगी। आठ गांवों का सवाल है आप और ताकत लगाइये। हिंदुस्तान के किसान को जाति-धर्म में नहीं बटना चाहिए।’
राष्ट्रीय किसान मोर्चा के नेता अभिमन्यु प्रधान ने कहा कि ‘सरकार की नीतियां गरीब विरोधी हैं। जो सरकार रोटी, कपड़ा, मकान, शिक्षा, चिकित्सा नहीं दे पा रही है वह एयरपोर्ट के नाम पर जमीन छीनने को अपना सपना बता रही है। हमारे सपनों पर बुलडोजर चलाने की साजिश करने वाली सरकार यह जान ले कि ऐतिहासिक किसान आंदोलन की जीत के बाद अब किसानों-मजदूरों को कमजोर मानने की गलती न करे, तत्काल एयरपोर्ट का मास्टर प्लान वापस ले।’
खिरिया की बाग में चल रहे धरने के समर्थन में 33 वें दिन वाराणसी से लोक विद्या जन आंदोलन की चित्रा सहस्त्रबुद्धे, सुनील सहस्त्रबुद्धे, जय किसान आंदोलन के रामजनम, मां गंगा सेवा समिति के हरिश्चन्द्र बिंद, भारतीय किसान यूनियन वाराणसी के नगर अध्यक्ष कृष्ण कुमार क्रांति और कमलेश कुमार आदि आए।
वाराणसी से लोक विद्या जन आंदोलन के सुनील सहस्त्रबुद्धे ने कहा कि यह संघर्ष जो आपके ऊपर थोप दिया गया है हम उसमें आपके साथ हैं। वे आपको उजाड़ने आए तो आपने उसे नामंजूर कर दिया। इस संघर्ष को जीतने के लिए हमारा ऐलान है न जमीन देंगे न जान देंगे, अपनी जिंदगी वापस लेंगे। उनको एयरपोर्ट वापस लेना होगा। आज सत्ता जबरदस्ती कर रही है पर जीत समाज की होगी। आपके पास जन शक्ति है।’
लोक विद्या जन आंदोलन की चित्रा सहस्त्रबुद्धे ने कहा कि ‘हर व्यक्ति में ज्ञान है। हम आज किसानों से सीखने आए हैं। गांव के लोग खुशहाली का रास्ता बताते हैं। किसानों ने राजनीतिक दलों को घुटने टेकने पर मजबूर किया। समाज की एकता तय करेगी हमारी जीत।’
जय किसान आंदोलन के रामजनम ने कहा कि ‘पूर्वांचल की धरती से उभरे इस आंदोलन से एक रोशनी की किरण निकली है। इस देश का मेहनतकश अवाम आपके साथ है। इस देश में हवाईअड्डे, एक्सप्रेस वे के नाम पर किसानों को लूटा गया। हमको लूटकर किये जाने वाले काम को विकास बताने वालों को यह आंदोलन एक जबरदस्त धक्का देगा। किसान आंदोलन 13 महीने चला और आपको 33 दिन हुए, दोनों लड़ाइयां एक है। ये आंदोलन परिवर्तन करेगा।’
निरहुआ के उटपटांग बयान
कुछ दिनों पहले आज़मगढ़ के सांसद दिनेश लाल निरहुआ ने बयान दिया कि ‘एयरपोर्ट के लिए सरकारी जमीन ली जाएगी।’ इस बयान पर किसान नेता राजीव यादव ने कहा कि ग्रामसभाएं तय करेंगी कि जमीन देंगे कि नहीं, किसी सरकार को यह तय करने का अधिकार नहीं कि वो हमारी जमीन ले ले। निरहुआ को जान लेना चाहिए यह फ़िल्म का शो नहीं जीवन बचाने की लड़ाई है। खुद को किसान का बेटा कहने और उसके हक छीनने नहीं देंगे का डायलॉग बंद कर निरहुआ को खिरिया की बाग में बैठी माताओं-बहनों से बात करनी चाहिए।’ राजीव ने कहा कि ‘जब मोदी बोलते हैं कि रोज दो-तीन किलो गाली खाकर उनको पौष्टिकता मिलती है तो उनकी पार्टी के सांसद उलजुलूल ही तो बोलेंगे।’
“धरने पर बैठे ग्रामीणों ने आज़मगढ़ से पूर्व सांसद और विपक्ष के नेता पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से कहा कि आपका नैतिक दायित्व है कि आप हमारे सवाल को उठाएं क्योंकि एक समय में हमने आपको सांसद चुना था। इसके पहले मुलायम सिंह यादव को सांसद चुना था. आज जब मुलायम सिंह यादव नहीं रहे तो अखिलेश किसानों-मजदूरों की आवाज अखिलेश यादव सदन में उठाएं।”
मां गंगा सेवा समिति के हरिश्चन्द्र बिंद ने कहा कि ‘किसान आंदोलन ने साफ किया कि तुम्हारे जन विरोधी कानूनों को नहीं मानेंगे। इस लड़ाई में हम आपके साथ हैं। जहां भी जमीन छीनी गई उनको फिर छत नहीं मिली। इस तानाशाही का जवाब हमें गांधी के रास्ते देना होगा।’
भारतीय किसान यूनियन वाराणसी नगर अध्यक्ष कृष्ण कुमार क्रांति ने कहा कि ‘सरकार ग्राम देवता किसान को उजाड़ना चाहती है. मेरा कहना है कि किसानों को न छेड़े।’
धरने के समर्थन में 37 वें दिन संयुक्त किसान मोर्चा और अखिल भारतीय किसान सभा, उत्तर प्रदेश के प्रदेश अध्यक्ष भारत सिंह, वाराणसी से बल्लभ पाण्डेय, गांव के लोग से रामजी यादव, अपर्णा, मनीष शर्मा, जय किसान आंदोलन के रामजनम यादव आए।
आगरा से चलकर आए अखिल भारतीय किसान सभा, उत्तर प्रदेश के प्रदेश अध्यक्ष भारत सिंह ने कहा कि ‘यह सरकार भूमि अधिग्रहण न कर दलालों के माध्यम से करार करवाकर जमीन हड़पती है। सरकार ने गांव पर हमला किया है, जिंदगी पर हमला किया है। जनता में धर्म के नाम पर अंधविश्वास फैलाकर हमारे जीवन पर हमला किया जा रहा है। किसान आंदोलन में आंदोलनकारियों को आतंकवादी तक कहा गया। आज रेल की पटरियां नीलाम हो रहीं हैं। पटरी हमारी रेल मुनाफाखोर कंपनियों का। ठीक यही हाल एयरपोर्ट का। हमारी जमीन पर रन वे और हवाई जहाज कंपनियों के बिजली बिल 2022 के नाम पर एक और हमला सरकार कंपनियों के साथ मिलकर कर रही है।’
भारत सिंह ने आगामी 26 नवम्बर को राजभवन घेराव में खिरिया बाग की जनता को आमंत्रित करते हुए कहा कि संयुक्त किसान मोर्चा आपके मुद्दे को प्रमुख रूप से रखेगा।
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गांव के लोग से अपर्णा ने कहा कि ‘महिलाओं की इस आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका है। आपकी हिम्मत को सलाम जो आप पिछले 37 दिनों से अपनी जमीन बचाने के लिए संघर्ष कर रही हैं। जहां चलने के लिए सही सड़कें न हों, रेल लाइन होने के बावजूद सही व्यवस्था न हों वहाँ के किसान और मजदूर हवाई अड्डा लेकर क्या करेंगे? यहाँ के किसानों को अपने जगह से दूसरी जगह बस से सफर करने के लिए टिकट के बारे अनेक बार सोचना पड़ता है और व्यवस्था करनी होती। सरकार को चाहिए कि उद्योग लगाकर यहाँ का पलायन रोका जा सकता है, युवाओं को यहाँ रोज़गार मिलेगा।’
गांव के लोग के रामजी यादव ने कहा कि ‘आपके आंदोलन ने साबित कर दिया है कि आप बिकाऊ नहीं हैं। आपकी दिन ब दिन बढ़ती ताकत ने इस आंदोलन को राष्ट्रीय बहस में ला दिया है। यह सिर्फ गांव, जिंदगी ही नहीं भविष्य बचाने की लड़ाई है।’
सीजेपी की मुनीजा रफीक खान ने कहा कि ‘इस बुलडोजर की सरकार को किसानों,मजदूरों और आदिवासियों से कोई लेना-देना नहीं। वह तो चाहती ही है कि यह सब सड़क पर आ जाएं और पूंजीपति अपना और ज्यादा विकास करें।’ वहीं एपवा की कुसुम वर्मा ने कहा कि ‘2014 के बाद इस सरकार ने विकास के नाम पर नंगा खेल शुरू किया है। निजीकरण कर सभी संस्थानों को अदानी और अंबानी के हाथों देकर जनता का खुले आम शोषण करवा रही है। हमें हार नहीं माननी होगी बल्कि डटकर सामना करना होगा।’
वाराणसी से आए बल्लभ पाण्डेय ने कहा कि ‘भूमि अधिग्रहण कानून साफ कहता है कि अगर आप सहमत नहीं हैं तो आपकी जमीन नहीं ली जा सकती है। यहां जो सर्वे की बात कही जा रही वो कानून को ताक पर रखकर किया गया है। सर्वे के नाम पर कोई सामाजिक आकलन नहीं किया गया।’
जय किसान आंदोलन के रामजनम ने कहा कि ‘आप अपने मुद्दे पर अड़े रहेंगे तो पूरा देश आपके आंदोलन के साथ है। यह सिर्फ किसान-मजदूरों का ही नहीं समाज के सभी वर्गों का आंदोलन है।’
मनीष शर्मा ने कहा कि ‘इस सरकार को बार-बार जनता के आंदोलन के सामने घुटने टेकने पड़े हैं। आंदोलनों के दम पर हमने मुल्क को आज़ाद कराया आज अपनी जमीनों को आज़ाद कराने का संघर्ष कर रहे हैं। ये कौन सा विकास है जो रोजगार छीनता है किसानों से जमीन छीनता है वो हमें नहीं चाहिए। हमको अपने बल पर ये लड़ाई लड़नी है।’
‘हमें इस तरह का विकास मंजूर नहीं है। विकास समावेशी होना चाहिए व आम लोगों की जरूरतों को पूरा करने वाला होना चाहिए। यदि आजमगढ़ कृषि प्रधान क्षेत्र है तो किसानों की सुविधा के लिए मंडियां खुलनी चाहिए जो न्यूनतम समर्थन मूल्य पर किसानों का उत्पाद खरीद सकें। किसानों को मुफ्त बिजली-पानी की सुविधा मिले व आसान शर्तों पर कर्ज मिल सके। कृषि सम्बंधित अन्य रोजगार के अवसर सृजित होने चाहिए ताकि लोगों को पलायन ही न करना पड़े। शिक्षा-चिकित्सा की बेहतर व्यवस्था होनी चाहिए। यदि बाहर की यात्रा करनी भी है तो आजमगढ़ के ज्यादातर लोग रेलगाड़ी का इस्तेमाल करते हैं। रेल की सुविधा में विस्तार होना चाहिए।”
छात्र संगठनों का समर्थन
खिरिया बाग़ आन्दोलन में छात्र संगठनों ने व्यापक हिस्सेदारी की और आन्दोलन का समर्थन किया है। वाराणसी से भगत सिंह छात्र मोर्चा, बीएचयू के छात्र नेता पंचायत में शामिल हुए. छात्र पंचायत में जन गीतों का भी आयोजन हुआ।
भगत सिंह छात्र मोर्चा के विनय ने कहा कि ‘सरकार ने कहां वादा किया था कि सबको घर देगी पर यहां तो जो घर है वो भी छीन रही है। ये झूठ फरेब की सरकार है इसको किसान मजदूर के बेटे जवाब देने को तैयार हैं।’
छात्र नेता इप्शिता ने कहा कि ‘किसान आंदोलन ने साबित किया कि किसानों-मजदूरों की क्या ताकत होती है। ये आंदोलन जमीन के लुटेरे कारपोरेट के खिलाफ है। आज लोकतंत्र संकट में है ये लड़ाई आने वाले दिनों में तय करेगी कि कैसा लोकतंत्र होगा। सरकार का नया लेबर लॉ मजदूर विरोधी है।’
चंदौली से मेहनतकश मुक्ति मोर्चा के रितेश विद्यार्थी ने कहा कि ‘जमीन सिर्फ पेट नहीं भरती इससे मान-सम्मान, इज्जत, भावनाएं जुड़ी हैं और सरकार कह रही है कि इसे छीनेगी। ये जमीन हमको पालती-पोसती है, हमारी मां है और मेरी मां को कोई छीन नहीं सकता। जिसको चीते से प्यार है वो क्या जाने इंसान का प्यार।’
छात्रनेता संदीप, आदर्श, देवरिया से मजदूर किसान एकता मंच के बृजेश आज़ाद, ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन के राम अवध यादव, किसान सभा के रामाज्ञा यादव, वेद प्रकाश, संतोष यादव, वीरेंद्र यादव, काशीनाथ यादव, राजेश आज़ाद, सत्यदेव, दुखहरन राम, वीरेंद्र सेनानी आदि ने भी संबोधित किया।
सांस्कृतिक संगठनों द्वारा समर्थन
खिरिया की बाग में चल रहे जमीन-मकान बचाओ संघर्ष के समर्थन में वाराणसी से आई प्रेरणा कला मंच की सांस्कृतिक टीम ने जमुआ, जिगना, हसनपुर और धरने स्थल पर नाटक और गीत प्रस्तुत किए।
प्रेरणा कला मंच के मुकेश कुमार ने कहा कि ‘गरीबों की जमीन जिस तरह एयरपोर्ट के नाम पर छीनी जा रही ठीक उसी तरह सदियों से जमीन लूटी गई। मुंशी प्रेमचंद के नाटक ठाकुर का कुआं और जनगीतों के माध्यम से गांवों में कंपनी राज को लेकर अपनी बात रखी गई। एक दौर में जिस तरह से साहूकार गरीबों की जमीन सादे कागज पर अंगूठा लगाकर हड़पते थे ठीक उसी तरह आज मल्टीनेशनल लोगों की जमीन मॉल-एयरपोर्ट के नाम पर हड़प रहे हैं।’
किसान नेता राजीव यादव ने कहा कि ‘खिरिया की बाग में चल रहे किसानों-मजदूरों के संघर्ष में देश के कोने-कोने से लोग शामिल हो रहे हैं। जनता के संघर्षों से जुड़ी सांस्कृतिक टोलियां गांव-गांव जाकर इस लड़ाई को मजबूती दे रही हैं। लखनऊ और वाराणसी के किसान संगठनों के लोग एयरपोर्ट के विस्तारीकरण के खिलाफ चल रहे आंदोलन के समर्थन में पदयात्रा करने का फैसला लिया है।’
भाजपा नेता द्वारा की गई गलतबयानी का विरोध
खिरिया बाग में 46 दिन से चल रहे धरने में भाजपा कार्य समिति सदस्य श्याम सुंदर चौहान के एयरपोर्ट के पक्ष में बोलते ही ग्रामीणों ने विरोध जताते हुए वापस जाओ के नारे लगाए।
ग्रामीणों ने कहा कि ‘धरने के दौरान आए भाजपा कार्य समिति सदस्य श्याम सुंदर चौहान हमारी बात से ज्यादा राजनीति और पार्टी की बात कर रहे हैं। आज हम डेढ़ महीने से धरने पर बैठे हैं और इतने दिनों बाद भाजपा का कोई नेता आया है तो वो हमको ही गलत ठहराने की कोशिश कर रहा है।’
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लोगों ने भाजपा कार्य समिति सदस्य श्याम सुंदर चौहान के सामने जो सवाल खड़े किए उनके पास किसी का जवाब नहीं था और वो आस्वासन देकर निकल गए। भाजपा कार्य समिति सदस्य श्याम सुंदर चौहान ने ग्रामीणों को बताया कि उन्हें भाजपा सांसद दिनेश लाल निरहू ने भेजा।
गांव के लोगों ने कहा कि ‘हम जमीन नहीं देंगे और एयर पोर्ट नहीं चाहिए।’ कादीपुर हरिकेश के प्रवेश निषाद ने कहा की ‘सांसद निरहुआ ने कैसे बोला कि हम सरकारी जमीन कब्जा किए हुए हैं, मनबढ़ हैं इसका जवाब देना होगा।’
पचासवें दिन कानपुर से चलकर मंदुरी पहुंची किसान संघर्ष यात्रा
आन्दोलन के पचास दिन होने पर मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित डॉ संदीप पांडे के नेतृत्व में सफीपुर, फतेहपुर चौरासी, उन्नाव के किसान आज़मगढ़ आए। किसान संघर्ष यात्रा 30 नवम्बर को 12 बजे पूर्वांचल एक्सप्रेसवे के अम्बेडकर नगर-शाहगंज टोल पर पहुँची जहाँ पूर्वांचल किसान यूनियन के महासचिव वीरेंद्र यादव और स्थानीय किसानों-मजदूरों द्वारा स्वागत उसका स्वागत किया गया। मिल्कीपुर, पवई, रामापुर, चकिया, माहुल, दखिन गावां होते हुए 3 बजे यात्रा अम्बारी पहुंची जहां किसान-मजदूर संवाद हुआ। एक दिसंबर को सुबह फूलपुर, सरायमीर, संजरपुर, फरिहा, निज़ामाबाद, सोफीपुर, तहबरपुर, नेवादा, मंदुरी होते हुए खिरिया बाग किसान संघर्ष यात्रा पहुंची। इन तमाम स्थानों पर स्वागत, संवाद और पर्चा वितरण हुआ।
किसान संघर्ष यात्रा के संयोजक डॉ संदीप पाण्डेय, राजीव यादव, वीरेंद्र यादव, अनिल मिश्रा, केएम भाई ने संयुक्त बयान में कहा कि ‘आज़मगढ़ की जनता यह बात समझ रही है कि सरकार पहले सरकारी एयरपोर्ट के नाम पर जमीन से हमें बेदखल कर देगी फिर उसे किसी देशी-विदेशी कंपनी को सौंप देगी। लोग यह समझते हैं कि खेती और गांव उन्हें पीढ़ी दर पीढ़ी जीविका और आवास उपलब्ध कराते हैं। महंगाई जिस गति से बढ़ रही है और मुद्रा का जिस गति से अवमूल्यन हो रहा है, मुआवजे की कोई भी राशि जमीन की तुलना में छोटी है। सालों से मंदुरी में एयरपोर्ट बना हुआ है लेकिन स्थानीय लोगों के जीविकोपार्जन में उससे कोई लाभ नहीं हुआ। इस तथाकथित एयरपोर्ट से न कोई विमान उड़ा है न उतरा है, लेकिन एयरपोर्ट के विस्तारीकरण यानी जमीन हड़पने की योजना को पूरा करने की कवायद अलोकतांत्रिक ढंग से जारी है।
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आज़मगढ़ की जनता यह बात समझ रही है कि सरकार पहले सरकारी एयरपोर्ट के नाम पर जमीन से हमें बेदखल कर देगी फिर उसे किसी देशी-विदेशी कंपनी को सौंप देगी। लोग यह समझते हैं कि खेती और गांव उन्हें पीढ़ी दर पीढ़ी जीविका व आवास उपलब्ध कराते हैं। महंगाई जिस गति से बढ़ रही है और मुद्रा का जिस गति से अवमूल्यन हो रहा है। मुआवजे की कोई भी राशि जमीन की तुलना में छोटी है। 15 सालों से मंदुरी में एयरपोर्ट बना हुआ है लेकिन स्थानीय लोगों के जीविकोपार्जन में उससे कोई लाभ नहीं है।’
यात्रा का नेतृत्व कर रहे मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित संदीप पाण्डेय ने कहा कि ‘कृषि की भूमि का कोई विकल्प नहीं हो सकता और न हीं अपनी आजीविका का साधन आसानी से बदला जा सकता है। भू-अधिग्रहण अधिनियम के तहत भी किसानों से उनकी मर्जी के बगैर जमीन नहीं ली जा सकती।’
किसान नेता राजीव यादव और वीरेंद्र यादव ने कहा कि ‘पूर्वांचल की धरती पर खड़ा हुआ जमीन-मकान बचाने का यह आंदोलन ऐतिहासिक है। खिरिया बाग के आंदोलन ने संघर्ष के पचास दिन पूरे करके सरकार को चेता दिया है कि हम झुकने वाले नहीं हैं। सरकार यही सोचती थी कि गरीब किसान-मजदूर थक जाएगा हार जाएगा। आज इस आंदोलन के जीतने के दृढ़ संकल्प के साथ पूर्वांचल समेत प्रदेश के किसान-मजदूर साथ खड़े हैं।’
उन्नाव से आए सोशलिस्ट किसान महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल मिश्रा ने कहा कि ‘हवाई अड्डा हो अथवा कोई और विकास का काम, वह लोगों को उजाड़ कर नहीं किया जा सकता। जितने लोग अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा बनने से उजड़ेंगे उतने लोगों को हवाई अड्डा या उससे जुड़े हुए उपक्रम रोजगार नहीं दे सकते।’
कानपुर से आए केएम भाई ने कहा कि ‘लोग भूमिहीन हो जाएंगे और चंद लोगों की किस्मत चमक जाएगी। किसानों की बहुमूल्य जमीन औने-पौने दामों पर लेकर रियायती दर पर पूंजीपतियों को दे दी जाएगी। इस देश में विकास के नाम पर यही खेल चल रहा है। अमीर व गरीब की खाई बढ़ती जा रही है।’
लखनऊ से आए किसान नेता बृजेश यादव बागी ने कहा कि ‘एक तरफ अडाणी, जिनका नरेन्द्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने से पहले किसी ने शायद ही नाम सुना हो आज दुनिया के दूसरे सबसे अमीर व्यक्ति बन गए। करोना काल में भी जब सबकी आय गिर गई तो अडाणी जैसे पूंजीपति अमीर होते गए। दूसरी तरफ महंगाई, बेरोजगारी की मार झेल रहे आम व्यक्ति के लिए जीना दूभर हो गया है। रोटी, कपड़ा, मकान, शिक्षा, इलाज, बिजली का बिल, आदि जरूरतों को पूरा करने में ही उसकी कमर टूट रही है।’
किसान संघर्ष यात्रा ने कहा कि ‘हमें इस तरह का विकास मंजूर नहीं है। विकास समावेशी होना चाहिए व आम लोगों की जरूरतों को पूरा करने वाला होना चाहिए। यदि आजमगढ़ कृषि प्रधान क्षेत्र है तो किसानों की सुविधा के लिए मंडियां खुलनी चाहिए जो न्यूनतम समर्थन मूल्य पर किसानों का उत्पाद खरीद सकें। किसानों को मुफ्त बिजली-पानी की सुविधा मिले व आसान शर्तों पर कर्ज मिल सके। कृषि सम्बंधित अन्य रोजगार के अवसर सृजित होने चाहिए ताकि लोगों को पलायन ही न करना पड़े। शिक्षा-चिकित्सा की बेहतर व्यवस्था होनी चाहिए। यदि बाहर की यात्रा करनी भी है तो आजमगढ़ के ज्यादातर लोग रेलगाड़ी का इस्तेमाल करते हैं। रेल की सुविधा में विस्तार होना चाहिए। हवाई अड्डा बनाने से हवाई जहाज बनाने, उड़ाने वाली, पेट्रोलियम का व्यापार करने वाली कम्पनियों व पैसे वालों को लाभ होगा। यह होड़ धरती के नीचे सीमित मात्रों में मौजूद पेट्रोलियम भण्डारों पर जल्दी से जल्दी ज्यादा से ज्यादा पैसा कमाने की है, इसका आम लोगों के विकास से कोई लेना देना नहीं। इसलिए हम आजमगढ़ में हवाई अड्डे के विस्तारीकरण की योजना का विरोध करते हैं।’
किसान संघर्ष यात्रा पूर्वांचल एक्सप्रेस वे पर अम्बेडकर नगर शाहगंज रोड टोल प्लाजा पर पहुंचकर प्रतिरोध करती हुई
टोल प्लाजा तोड़ते हुए ज़ाहिर किया प्रतिरोध
जमीन हमारी, टोल तुम्हारा नहीं चलेगा के नारे के साथ विरोध करते हुए किसान संघर्ष यात्रा पूर्वांचल एक्सप्रेस वे पर अम्बेडकर नगर शाहगंज रोड टोल प्लाजा पर पहुंची। किसानों-मजदूरों के समर्थन में कानपुर से चली यह किसान-मजदूर संघर्ष यात्रा आज़मगढ़ पहुंची जहाँ जनसभा करने के बाद मिल्कीपुर, पवई, माहुल होते हुए किसान संघर्ष यात्रा अम्बारी पहुंची। इस बीच जगह-जगह नुक्कड़ सभाएं हुईं और पर्चा वितरण हुआ।
मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित डॉ. संदीप पाण्डेय ने कहा कि ‘पिछले 50 दिन से किसान-मजदूर कह रहे हैं कि जमीन नहीं देंगे लेकिन सरकार बात नहीं सुन रही। किसान संघर्ष यात्रा के जरिए हम किसानों-मजदूरों की आवाज़ पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं। इस लड़ाई की जीत निश्चित है क्योंकि इस आंदोलन को महिलाएं चला रही हैं। इस देश के भूमि अधिग्रहण कानून का सरकार पालन नहीं कर रही। कानून के खिलाफ जाकर सर्वे का जो काम प्रशासन ने किया वो गैर कानूनी है।’
यात्रियों ने एक स्वर में कहा कि अगर आप जमीन बचाना चाहते हैं तो आपको इस आंदोलन का साथ देना होगा। यात्रा का स्वागत किसान नेता राजीव यादव, वीरेंद्र यादव, अधिवक्ता विनोद यादव ने किया।
विधायकों-सांसदों से अपील
आगामी विधानसभा-लोकसभा सत्र में एयरपोर्ट के विस्तारीकरण के नाम पर जमीन छीनने का सवाल उठाएं। विधायकों-सांसदों ने अगर सदन में सवाल नहीं उठाया तो उन्हें गांव में घुसने नहीं दिया जाएगा।
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वक्ताओं ने कहा कि विधायकों-सांसदों का नैतिक दायित्व है कि किसानों-मजदूरों की जमीन-मकान बचाने के लिए वो सदन में आवाज बुलंद करें। उन्होंने कहा कि अगर जन प्रतिनिधि इन सवालों को नहीं उठाते हैं तो उन्हें पद पर बने रहने का कोई हक नहीं है और वोट मांगने का कोई हक नहीं है। ये सवाल किसी पार्टी का सवाल नहीं किसानों-मजदूरों का सवाल है और किसानी-जवानी पर जिस सदन में बात न हो तो उस सदन को ठप किया जाए। विधायकों-सांसदों ने अगर सदन में सवाल नहीं उठाया तो उन्हें गांव में प्रवेश नहीं करने दिया जाएगा।
वक्ताओं ने कहा कि ग्रामीणों ने जब सर्वे का विरोध यह कर किया कि जब जमीन नहीं देना चाहते तो सर्वे का क्या औचित्य है। इसके बाद भी बिना गांव में आए प्रशासन ने सर्वे कर दिया जो कि गैर कानूनी है। जमीन अधिग्रहण के नाम पर प्रशासन जो गैरकानूनी काम कर रहा है उसे सदन में विधायक और सांसद मजबूती से उठाएं।
जमीन-मकान बचाओ संयुक्त मोर्चा के तहत गदनपुर हिच्छनपट्टी, जिगिना करमनपुर, जमुआ हरीराम, जमुआ जोलहा, हसनपुर, कादीपुर हरिकेश, जेहरा पिपरी, मंदुरी, बलदेव मंदुरी के ग्रामवासी 13 अक्टूबर 2022 से अनवरत खिरिया की बाग, जमुआ में धरने पर बैठे हैं. 65 दिनों से जमीन-मकान नहीं देंगे, अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे का मास्टर प्लान वापस लेने, 12-13 अक्टूबर के दिन और रात में सर्वे के नाम पर एसडीएम सगड़ी और अन्य राजस्व व पुलिसकर्मियों के द्वारा महिलाओं-बुजुर्गों के साथ हुए उत्पीड़न के दोषियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए धरने पर बैठे हैं।
53 दिन से धरने पर बैठे किसानों-मजदूरों की आवाज उठे सदन में
खिरिया बाग, आजमगढ़ 4 दिसम्बर 2022. पिछले 53 दिनों से खिरिया बाग में धरना दे रहे जमीन-मकान बचाओ संयुक्त मोर्चा ने विधायकों-सांसदों से कहा कि एयरपोर्ट के नाम पर आठ गांवों को उजाड़ने का सवाल अगर सदन में नहीं उठा तो उन्हें गांव में घुसने नहीं देंगे।
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धरने पर बैठे ग्रामीणों ने आज़मगढ़ से पूर्व सांसद और विपक्ष के नेता पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से कहा कि आपका नैतिक दायित्व है कि आप हमारे सवाल को उठाएं क्योंकि एक समय में हमने आपको सांसद चुना था। इसके पहले मुलायम सिंह यादव को सांसद चुना था. आज जब मुलायम सिंह यादव नहीं रहे तो अखिलेश किसानों-मजदूरों की आवाज अखिलेश यादव सदन में उठाएं।
वक्ताओं ने कहा कि पूरे देश-प्रदेश के किसान नेताओं ने खिरिया बाग आंदोलन का समर्थन किया है ऐसे में विधायकों-सांसदों से अपील है कि दलीय सीमा से ऊपर उठकर एयरपोर्ट के विस्तारीकरण के नाम पर जमीन छीनने के सावल को सदन में उठाकर इसको हल कराएं। 53 दिनों से किसान-मजदूर अपना काम-धंधा, दिहाड़ी छोड़कर अपनी जमीन-मकान बचाने के लिए संघर्ष कर रहा है। स्थानीय गोपालपुर विधायक समेत आज़मगढ़ के सभी विधायकों से अपील है कि 5 दिसंबर से चलने वाले विधानसभा सत्र में एयरपोर्ट के विस्तारीकरण के नाम पर किसानों-मजदूरों की जमीन-मकान छीनने के सवाल को उठाएं।
स्थानीय गोपालपुर विधायक समेत आज़मगढ़ के सभी विधायक एक स्वर में सदन में उठाएं खिरिया बाग आंदोलन का सवाल ताकि 65 दिन से धरने पर बैठे किसानों-मजदूरों की आवाज सदन में उठे।
वक्ताओं ने कहा कि पूरे देश-प्रदेश के किसान नेताओं ने खिरिया बाग आंदोलन का समर्थन किया है ऐसे में विधायकों-सांसदों से अपील है कि दलीय सीमा से ऊपर उठकर एयरपोर्ट के विस्तारीकरण के नाम पर जमीन छीनने के सावल को सदन में उठाकर इसको हल कराएं. 65 दिनों से किसान-मजदूर अपना काम-धंधा, दिहाड़ी छोड़कर अपनी जमीन-मकान बचाने के लिए संघर्ष कर रहा है। स्थानीय गोपालपुर विधायक समेत आज़मगढ़ के सभी विधायकों से अपील है कि 5 दिसंबर से चलने वाले विधानसभा सत्र में एयरपोर्ट के विस्तारीकरण के नाम पर किसानों-मजदूरों की जमीन-मकान छीनने के सवाल को उठाएं।
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खिरिया बाग आंदोलनकारियों से 6 दिसंबर को एसडीएम की वार्ता
खिरिया बाग, आज़मगढ़ 2022. खिरिया बाग में 54 वें दिन धरना जारी रहा। जमुआ गांव के 50 वर्षीय शिवचरण राम की हार्टअटैक से देहांत हो जाने के कारण धरना स्थल पर शोक सभा की गई और श्रद्धांजलि दी गई। पिछले 54 दिनों से चल रहे धरने के दौरान अब तक सात व्यक्तियों की जमीन-मकान जाने के सदमें से मृत्यु हो गई है।
मोर्चा के संयोजक रामनयन यादव ने बताया कि प्रशासन की पहल पर 6 दिसंबर 2022 को हसनपुर पंचायत भवन पर 12 बजे दोपहर में वार्ता तय हुई है। प्रशासन के द्वारा ज्ञात हुआ कि एसडीएम सगड़ी धरनारत ग्रामीणों के सामने अपना प्रस्ताव रखेंगे। जिसपर कमेटी विचार करेगी।
लेकिन खिरिया बाग में धरनारत किसानों-मजदूरों की प्रशासन से वार्ता बेनतीजा रही। वादे के अनुसार प्रशासन ने कोई प्रस्ताव नहीं दिया। धरने के 55 वें दिन डॉ अम्बेडकर के परिनिर्वाण दिवस के अवसर पर उनके जीवन पर प्रकाश डालते हुए श्रद्धांजलि अर्पित की गई।
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जमीन-मकान बचाओ संयुक्त मोर्चा के संयोजक रामनयन यादव ने बताया कि हसनपुर पंचायत भवन में एसडीएम सगड़ी और एसडीएम न्यायिक से किसानों-मजदूरों की वार्ता हुई। एसडीएम ने ग्रामीणों से कहा कि ड्रीम प्रोजेक्ट, विकास के लिए त्याग कीजिए। जिस पर हमने कहा कि गरीबों को उजड़ने का कैसा सपना। प्रशासन के पास इसका कोई उत्तर नहीं था कि सरकार क्षेत्र की जनता का क्या विकास करेगी। जब आज तक एयरपोर्ट से कोई उड़ान नहीं हुई तो क्यों किसानों की जमीन सरकार ने हड़पी। किसानों-मजदूरों ने कहा कि आप सरकार को संदेश दे दीजिए कि जनता जमीन-मकान देने को तैयार नहीं हैं। हमारे घर उजाड़कर सरकार कौन सा विकास करेगी। एसडीएम ने कहा कि जल्द आपकी जिलाधिकारी से वार्ता कराई जाएगी।
वक्ताओं ने कहा कि विधानसभा सत्र के दूसरे दिन अभी तक कोई सूचना नहीं है कि खिरिया बाग में आंदोलनरत किसानों-मजदूरों की आवाज सदन में उठाई गई। स्थानीय गोपालपुर के विधायक और निज़ामाबाद के विधायक धरने स्थल पर आकर समर्थन देते हुए सदन में अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट के नाम पर जमीन-मकान छीनने के विरुद्ध चल रहे धरने के सवाल को उठाने का आश्वासन दिया था। पूरे देश-प्रदेश के किसान नेताओं ने खिरिया बाग आंदोलन का समर्थन किया है ऐसे में विधायकों-सांसदों से अपील है कि दलीय सीमा से ऊपर उठकर एयरपोर्ट के विस्तारीकरण के नाम पर जमीन छीनने के सावल को सदन में उठाकर इसको हल कराएं। विधायकों-सांसदों का नैतिक दायित्व है कि किसानों-मजदूरों की जमीन-मकान बचाने के लिए वो सदन में आवाज बुलंद करें।
ग्रामीणों ने कहा कि अगर जन प्रतिनिधि इन सवालों को नहीं उठाते हैं तो उन्हें पद पर बने रहने का कोई हक नहीं है और वोट मांगने का कोई हक नहीं है। ये सवाल किसी पार्टी का सवाल नहीं किसानों-मजदूरों का सवाल है और किसानी-जवानी पर जिस सदन में बात न हो तो उस सदन को ठप किया जाए। विधायकों-सांसदों ने अगर सदन में सवाल नहीं उठाया तो उन्हें गांव में प्रवेश नहीं करने दिया जाएगा।
जिलाधिकारी को ठोस-निर्णायक वार्ता के लिए भेजा प्रस्ताव
खिरिया बाग के आंदोलनकारियों ने जिलाधिकारी आज़मगढ़ को पत्र लिखकर वार्ता की गंभीरता को लेकर सवाल उठाया।
जमीन-मकान बचाओ संयुक्त मोर्चा ने जिलाधिकारी से कहा कि हम वार्ता का सम्मान करते हुए समाधान चाहते है. दुःख के साथ कहना पड़ रहा है कि किसानों-मजदूरों से वार्ता के प्रयास अगम्भीर और खानापूर्ति जैसे रहे हैं। ऐसे में आंदोलन के महत्व को देखते हुए ठोस और निर्णायक वार्ता का प्रयास किया जाए।
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मोर्चे ने कहा कि हमें यह बताया जाए कि शासन के किस निर्देश पर यह वार्ता की जा रही है, अगर शासन का निर्देश है तो उस निर्देश की प्रति हमें क्यों नहीं दी जा रही है, क्या जिलाधिकारी द्वारा एसडीएम सगड़ी को वार्ता के लिए निर्देशित किया गया था, क्या जिलाधिकारी धरनारत किसान-मजदूर प्रतिनिधियों से वार्ता करने की इच्छा रखते हैं. 12-13 अक्टूबर 2022 की दिन और रात में भी राजस्व अधिकारी और भारी पुलिस बल बिना किसी पूर्व सूचना, ग्रामीणों से बिना किसी संवाद और बिना सरकारी नोटिस के अचानक सर्वे और पैमाइश करने लगे. हम मानते हैं कि पिछले 56 दिनों से चल रहे धरने के प्रति प्रशासन का रवैया उदासीन रहा. किसानों-मजदूरों की मांगों के प्रति गंभीरता नहीं दिखाई दी।
जिलाधिकारी को लिखे पत्र में कहा गया है कि पहली बार प्रशासन से जमुआ हरीराम के पंचायत भवन में 7 नवम्बर 2022 को सुबह 10 बजे वार्ता तय हुई जिसके बाद वार्ता के लिए आ रहे एसडीएम सगड़ी वार्ता स्थल पर नहीं आए और वार्ता नहीं हो सकी. पुनः 5 दिसंबर 2022 को राजस्वकर्मी और पुलिसकर्मी एसडीएम सगड़ी का वार्ता का प्रस्ताव यह कह कर लाए कि एसडीएम सगड़ी आपके सामने शासन का प्रस्ताव रखेंगे, जिसे धरनारत किसानों-मजदूरों ने स्वीकार किया और 6 दिसंबर 2022 को दोपहर 12 बजे हसनपुर पंचायत भवन में वार्ता तय हुई. 6 दिसंबर को एसडीएम सगड़ी, एसडीएम न्यायिक और पुलिस कर्मियों के साथ वार्ता शुरू हुई। ग्रामीणों ने एसडीएम से शासन का प्रस्ताव मांगा जिस पर उन्होंने कहा कि उनके पास कोई प्रस्ताव नहीं है. एसडीएम सगड़ी ने कहा कि शासन के निर्देश पर वार्ता की जा रही है। ग्रामीणों ने वार्ता की, यह अनौपचारिक वार्ता बेनतीजा रही. एसडीएम ने यह भी कहा कि जिलाधिकारी से आपकी वार्ता कराई जाएगी।
खिरिया बाग़ आन्दोलन के दो महीने पूरा होने पर निकाली गई पदयात्रा
खिरिया बाग आंदोलन ने 11 दिसंबर को संघर्ष के दो महीने पूरा किया। इस अवसर पर छात्र-युवा किसान-मजदूर पंचायत का आयोजन हुआ और खिरिया बाग से पदयात्रा शुरू हुई। इसके बाद सभा हुई जिसमें वक्ताओं ने कहा कि खिरिया बाग किसान-मजदूर आंदोलन पूर्वांचल में संघर्ष का इतिहास बना रहा है। सरकार हमें थकाना चाहती है लेकिन हमने तय कर दिया है कि जमीन नहीं देंगे और आज़मगढ़ को अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट की कोई जरूरत नहीं। एयरपोर्ट से विकास होता तो इतने साल से किसानों की जमीन पर बने एयरपोर्ट से विकास हो गया होता, पर ऐसा कुछ नहीं हुआ। एयरपोर्ट के नाम पर किसानों की जमीन पर जो एयरपोर्ट बनाया गया है वहां किसान मंडी बनाई जाए।
खिरिया बाग से निकाली गई पद यात्रा
सत्तर दिन बीत चुके हैं और प्रशासन ने अपनी नीयत के बारे में शक करने की सारी वजहें बरकरार रखी हैं। उसका जनता के प्रति कोई सरोकार नहीं दीखता। इसलिए लोगों का भरोसा भी अब प्रशासन पर नहीं रहा। कुल मिलाकर एक अजीब स्थिति बन गई है हालाँकि उजड़ने की आशंकाओं के बरखिलाफ़ आन्दोलन में बैठे लोग चाहते हैं कि सरकार और प्रशासन अपनी स्थिति स्पष्ट करें।
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सत्ता पक्ष से अलग स्थानीय विधायक और दूसरे जनप्रतिनिधियों ने भी अभी अपनी नीयत साफ़ नहीं की है न ही जनता का खुलकर समर्थन किया है। आजमगढ़ के सांसद निरहुआ और बीजेपी से जुड़े दूसरे लोग खुलकर योगी की गुंडई और मोदी के विकास का गाना गा रहे हैं. लगातार आपत्तिजनक और जनविरोधी बयान दे रहे हैं। लोगों में निरहुआ को लेकर कितनी घृणा है इसका अंदाज़ा इस बात से लगता है कि अनेक महिलाओं ने उपचुनाव में उसे वोट देने की बात स्वीकारी लेकिन कहा कि उस समय तो वह पैर पर गिरा तो हम समझी कि अच्छा आदमी होगा लेकिन यह तो मोदी का कुत्ता है जो अब हमारे ऊपर ही भोंक रहा है।
वस्तुतः यह तथाकथित विकास का एक ऐसा एजेंडा है जिसमें एकतरफा कॉर्पोरेट का फायदा है। गाँव उजाड़े जाने पर चालीस हज़ार की आबादी किस घाट लगेगी इसका कोई खाका अब तक नहीं बना है क्योंकि इसमें सरकार और प्रशासन डंडे के बल पर अब निपटा लेना चाहते हैं। जबकि जनता चाहती है कि बातें आमने-सामने और संविधान के दायरे में हो। इस आन्दोलन ने प्रभावित होने वाली जनता को न केवल जागरूक बनाया है बल्कि प्रशिक्षित भी किया है। जनता की एकता ने कई वर्जनाओं को तोडा है और एक नई सामाजिक चेतना विकसित की है।
अब वह रात में पैमाइश करने वालों को बर्दाश्त करने और डंडे खाने को तैयार नहीं है बल्कि आर-पार की लड़ाई करने के मूड में है!
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