आज जबकि देश का माहौल राममय बनाने की घोषणा सामने आ चुकी है, विपक्ष के सामने एक ही रास्ता है कि वह राममय के समानांतर देश का माहौल सामाजिक न्यायमय बनाने का अभियान छेड़े। किन्तु भारी अफ़सोस के साथ कहना पड़ता है कि सामाजिक न्यायमय माहौल बनाने में एमके स्टालिन और राहुल गाँधी को छोड़कर इंडिया गठबंधन से जुड़े अन्य दलों और नेताओं में खास आन्तरिकता नहीं दिख रही है।
वर्तमान सरकार ने संविधान के नए संस्करण में से समाजवाद और सेक्युलरिज्म शब्दों को हटाकर नई संसद में पहले ही दिन और पहले ही अधिवेशन में अपने इरादे को स्पष्ट कर दिया है। वैसे भी इस दल की स्थापना के मूल में सवर्णों का हित सर्वोपरि है, लेकिन धीरे-धीरे संसदीय राजनीति के तकाजे को देखते हुए सतही तौर पर ही सही महिलाओं से लेकर पिछड़ी जातियों के लोगों को भी शामिल किया गया।