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Nandita das
लेखक की निजी ज़िन्दगी और रचना संसार के बीच का ‘नो मेंस लैंड’
फिल्म में उन समस्याओं और सवालों को ज़रूर उठाया गया है जिसे आज के समय में भी जोड़कर देखा जा सकता है और जो आज भी हमारे देश की विकराल समस्याएँ हैं, निर्देशक इसके लिए बधाई की हकदार हैं कि वे आज के माहौल के कुछ सवालों से मंटो के बहाने मुठभेड़ कर पाई ! आज जब मारे जाने के लिए मुसलमान होना ही काफ़ी है, फिल्म में कुछ गहरे तंज करने वाले संवाद हैं – 'इतना मुसलमान तो हूँ ही कि मारा जा सकूँ!'