बनारस जिले के अनेक मुसहर परिवार अभी भी वनोपजीवी हैं हालाँकि अब उनके ऊपर वन विभाग की बन्दिशें लगातार बढ़ रही हैं। समुचित रोजगार के अभाव में अभी भी मुसहर समुदाय पुर्वांचल के सर्वाधिक पिछड़े और हाशियाई समुदायों में से एक है। अभी बहुत से परिवार दोने-पत्तल बनाकर और लकड़ी काटकर अपनी आजीविका चला रहे हैं। लेकिन अब ये काम भी आसान नहीं रह गए हैं। इस माध्यम से आजीविका कमाने के लिए इनको सैकड़ों किलोमीटर चलकर जंगलों की खाक छाननी पड़ती है। पढ़िये बनारस के पानदारीबा में पत्ते बेचने वाले कुछ परिवारों पर अपर्णा की पूर्व प्रकाशित ग्राउंड रिपोर्ट।