फॉदर स्टेन से सरकार की नाराजगी का एक और कारण भी था। और वह था झारखंड की जेलों में आदिवासी विचारधीन कैदियों को न्याय दिलवाने का उनका अभियान। वे झारखंड में जांच एजेन्सियों द्वारा हजारों आदिवासी नौजवानों को नक्सल बताकर उनकी अंधाधुंध गिरफ्तारियों के खिलाफ अभियान चला रहे थे। उन्होंने झारखंड उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका दायर कर यह मांग की थी कि सभी विचाराधीन बंदियों को निजी मुचलके पर रिहा किया जाए और उनके खिलाफ मुकदमों में जल्द से जल्द निर्णय हों।