जिस तरह की डेमोक्रेसी आज हमारे देश में चल रही है, उसे करोड़ोक्रेसी कहना ज्यादा सही होगा। अब कल महाराष्ट में भाजपा के सांसद और महाराष्ट्र के महासचिव ने मतदान के एक दिन पहले जिस तरह करोड़ों रूपये बांटते हुए पकडे गए, उससे चुनाव आयोग को लेकर निश्चय ही अति अविश्वास की स्थिति पैदा हुई है। यदि चुनाव आयोग के हाथ में कुछ भी नहीं रह गया है तो इसे खत्म कर देना चाहिए और यह जिम्मेदारी सत्तारूढ़ पार्टी के हाथों में खुलकर दे देनी चाहिए, जैसा कि अभी है।