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ग्राउंड रिपोर्ट

क्या हमारे देश में डेमोक्रेसी को करोड़पतियों ने हाइजैक कर लिया है?

जिस तरह की डेमोक्रेसी आज हमारे देश में चल रही है, उसे करोड़ोक्रेसी कहना ज्यादा सही होगा। अब कल महाराष्ट में भाजपा के सांसद और महाराष्ट्र के महासचिव ने मतदान के एक दिन पहले जिस तरह करोड़ों रूपये बांटते हुए पकडे गए, उससे चुनाव आयोग को लेकर निश्चय ही अति अविश्वास की स्थिति पैदा हुई है। यदि चुनाव आयोग के हाथ में कुछ भी नहीं रह गया है तो इसे खत्म कर देना चाहिए और यह जिम्मेदारी सत्तारूढ़ पार्टी के हाथों में खुलकर दे देनी चाहिए, जैसा कि अभी है।

अंग्रेजी में डेमोक्रेसी को फॉर दि पीपुलवाई दि पीपुल और ऑफ दि पीपुल कहा जाता है। परंतु हमें भारतवर्ष में इसे करोड़पति के द्वारा करोड़पति के लिए और करोड़पति की कहा जाना चाहिए। पिछले चुनावों में उम्मीदवारों की सूची देखी जाए तो उसमें इक्का-दुक्का ही ऐसे होंगे जो करोड़पति नहीं हैं। अगर आप करोड़पति नहीं हैं तो आप चुनाव के मैदान में उतर नहीं सकते। सुना तो यह भी जा रहा है कि यदि आप किसी भी पार्टी का उम्मीदवार बनना चाहते हैं तो उसका टिकट पाने के लिए भी आपको करोड़ों रूपए देने पड़ते हैं। इस तरह भारतवर्ष के प्रजातंत्र पर करोड़पतियों का ग्रहण लग गया है।

पहले यह बात अफवाहों में सुनी जाती थी। परंतु इस बार चुनाव आयोग द्वारा करोड़ों रूपए जब्त किए गए हैं। समाचार पत्रों के अनुसार महाराष्ट्र और झारखंड के चुनाव प्रचार के दौरान 1000 करोड़ जब्त किए गए। यदि सिर्फ जब्त की गई रकम 1000 करोड़ है तो मतदाताओं के बीच में कितने करोड़ रूपए बांटे गए होंगे?

इस बार एक सनसनीखेज खबर सामने आई है। इस खबर के अनुसार भाजपा महासचिव पर पैसे बांटने का आरोप लगाया गया है और विपक्षी विधायक ने होटल में घुसकर उन्हें पकड़ा। यह आरोप अफवाह तक सीमित नहीं है वरन् भाजपा के महासचिव से चुनाव में बांटने के लिए लाखों रूपए उनके पास से पाए गए। पैसों का यह बंटवारा एक होटल से किया जा रहा था। समाचारों में बताया गया है कि एक पार्टी के बड़े नेता ने एक बयान में कहा कि मुझे भाजपा के मेरे दोस्तों ने बताया कि भाजपा महासचिव तावड़े मेरे क्षेत्र में 5 करोड़ रूपए बांटने आ रहे हैं। जिस होटल से इन रूपयों को बांटने की खबर थी वहां सीसीटीवी कैमरे चालू नहीं थे। आचार संहिता का नियम है कि चुनाव प्रचार खत्म होने के 48 घंटे पहले ही बाहरी नेताओं को जहां चुनाव हो रहा है वह शहर छोड़ देना चाहिए। इस नियम के बावजूद यह पूछा जा रहा है कि विनोद तावड़े वहां क्यों थेक्या मतदाताओं तक पैसा पहुंचाने के लिएफिर होटल के कैमरे क्यों बंद कर दिए गएबहुजन विकास अघाड़ी के विधायक नितिन ठाकुरउनके बेटे विधायक क्षितिज्ञ ठाकुर और उनकी पार्टी के कार्यकताओं ने तावड़े को रंगेहाथ पकड़ा और 4 घंटे तक नज़रबंद रखा। इसी दरम्यान तावड़े के बैग से 9 लाख रूपए बरामद हुए। आरोप है कि तावड़े ने करीबन 5 करोड़ रूपए अपने नेताओं द्वारा बंटवाए। इस संबंध में एफआईआर दर्ज करा दी गई। तावड़े के पास एक डायरी भी मिलीजिसमें कई नामों के आगे 300 के और 400 के लिखा हुआ हैइसका मतलब यह है कि लगभग हर एक वोटर को बड़ी रकम पहुंचाई गई है।

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इसका अर्थ यह है कि डेमोक्रेसी में अब किसी सिद्धांत का कोई मतलब नहीं रहा। जो पार्टी पैसा दे उस पार्टी को ही वोट पाने का हक है।

इस घटना पर टिप्पणी करते हुए कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा मोदी जी ये 5 करोड़ किसकी सेफ से निकलेयह रकम किसने भेजीजनता का पैसा लूटकर आपको किसने टेम्पू में भेजा?

कई चैनल पिछले कुछ दिनों से इस बात का प्रचार कर रहे हैं कि पार्टियों की ओर से विशेषकर भारतीय जनता पार्टी की ओर से बड़े पैमाने पर मतदाताओं तक पैसे पहुंचाए जा रहे हैं। उनका यह भी दावा है कि यही कारण है कि इंडिया एलायंस की जीत की भविष्यवाणी करने के बावजूद वह नहीं जीत पाती है। दूसरी पार्टियां ऐसा नहीं कर रही होंगी यह बात पूरे विश्वास से नहीं कही जा सकती। यदि पैसे से ही लोगों का मत प्रभावित होता है तो कितने दिन तक इस तरह की डेमोक्रेसी टिकेगीक्या यह आम लोगों की चिंता का विषय नहीं है?

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