लखनऊ/आजमगढ़। सोशलिस्ट पार्टी (इंडिया) के राष्ट्रीय महासचिव मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित डाक्टर संदीप पाण्डेय ने सोशलिस्ट किसान सभा के राष्ट्रीय महासचिव राजीव यादव के...
यूपी में हालत कितने भयावह हैं। हिरासत के दौरान एनकाउंटर के खतरे की आशंका मानवाधिकार का गंभीर मसला है। एक नेता की सिर्फ बयानबाजी में इसे न देखा जाए। पिछले दिनों जिस तरह से पूर्व सांसद अतीक अहमद और पूर्व विधायक अशरफ जिन्होंने हत्या की आशंका जाहिर की थी और सरेआम पुलिस की भारी मौजूदगी में मीडिया कैमरों के सामने उनकी हत्या हुई उससे यह सवाल गंभीर हो जाता है।
आजमगढ़ में एयरपोर्ट विस्तारीकरण के खिलाफ महिलाओं ने पेड़ों को राखी बांधकर प्रण लिया- जमीन नहीं देंगे...
मंदुरी (आजमगढ़)। एयरपोर्ट के विस्तारीकरण के नाम पर...
जिले के एसपी अनुराग आर्य ने बताया कि जांच में यह भी पता चला कि जिस जगह पर छात्रा गिरी थी उस जगह पर काफी खून भी फैला था, जिसे स्कूल द्वारा पानी डालकर साफ कराया गया था। पुलिस ने इसे सबूत मिटाने का प्रयास माना था और प्रिंसिपल तथा क्लास टीचर को जेल भेज दिया था। बाद में पूरा केस विवेचना के लिए मऊ ट्रांसफर कर दिया गया जहां एक ही दिन में दोनों आरोपियों को 9 अगस्त को जमानत मिल गई।
[भव्यता के ख्वाब तले कुचले जा रहे स्वपन अब एक बड़े वर्ग की आँखों में चुभने लगे हैं। लोग दर्द में हैं और हक़ की आवाज पर सरकार की पहरेदारी है। धमकियाँ हैं। बावजूद इसके लोग अब भी लड़ रहे हैं। जब तक लोग लड़ रहे हैं तब तक उम्मीद जिंदा है। इस जिंदा उम्मीद के लिए न्याय की नियति क्या होगी, भविष्य क्या होगा, इस पर अभी तो प्रश्नवाचक का पेंडुलम वैसे ही झूल जा रहा है, जैसे समय के साथ चलने वाली घड़ी के बंद हो जाने पर उसका पेंडुलम खामोशी से झूलता रहता है और इंतजार करता रहता है कि कभी तो कोई उसकी चाभी भरकर उसे चला देगा।