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randeep hudda
विघटनकारी नैरेटिव को मजबूती देते हुए, सच को तोड़-मरोड़ कर दिखाती फिल्म स्वातंत्र्यवीर सावरकर
वर्ष 2014 के बाद, जब से लोगों के दिमाग में राष्ट्रवादी विचारधारा ज्यादा मजबूती से हावी हुई है, तब से समाज के सांस्कृतिक परिदृश्य में इसका प्रभाव भी बढ़ा है। जिसमें एक माध्यम सिनेमा भी है, जिसके माध्यम से जनता सबसे ज्यादा अपने ज्ञान को समृद्ध करने पर विश्वास करती है। अभी हाल में ही रणदीप हुड्डा की फिल्म स्वातंत्र्यवीर सावरकर रिलीज हुई है, जिसमें सावरकर को झूठे तथ्यों के साथ महान बताया गया है।