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#Sadak
‘गड्ढामुक्त’ का सरकारी दावा असलियत में बदहाल सड़कों पर चलना हुआ मुश्किल
लंका से रवीन्द्रपुरी कॉलोनी में थोड़ी ही दूर चलने के बाद आँखों में जलन होने लगती है। मैं गाड़ी रोककर आँख साफ कर ही...
गांव को शहर बनाती सड़क
जबसे पक्की सड़क बनी है, तब से कई समस्याएं सुलझ गई हैं। अब गांव की किशोरियां भी आराम से स्कूल और कॉलेज आना-जाना कर लेती हैं। यदि किसी कारणवश कॉलेज से आने में लेट भी हो जाती है तो सड़क से गुजरने में जहां हमें कोई डर नहीं रहता है, वहीं अभिभावक भी हमारी सुरक्षा को लेकर कम चिंतित होते हैं। अब कोई भी, किसी भी समय इस सड़क से गुज़र सकता है।
ज़िंदगी के नए और अनजान इलाकों तक ले जाती सिनेमा की सड़कें
साहित्य में यात्रा वृतांत लेखन एक अलग धारा के रूप में स्थापित है। साहित्य की भांति सिनेमा में भी ट्रैवल सिनेमा एक महत्वपूर्ण जेनर...