कहीं भी सड़क बनाने से पहले कुछ मानकों का पालन करना चाहिए। लेकिन राजस्थान के उदयपुर शहर के मनोहरपुरा गाँव में कई बातों को नजरंदाज कर दिया गया।जैसे सड़क के किनारे नाली न होने के बावजूद सड़कें बना दी गईं। इसका परिणाम यह हुआ कि नालों का पानी सडकों पर बजबजा रहा है और लोगों को आने जाने में भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
बिहार के कई ऐसे गांव हैं जहां प्रति वर्ष ग्रामीणों की एक बड़ी आबादी रोज़गार के लिए पलायन करती है। इनमें अधिकतर संख्या अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, ओबीसी और पसमांदा तबके की है। जो आर्थिक रुप से काफी कमज़ोर होते हैं।
मिर्जापुर का यह उद्योग कहने को तो गरीबों का गोल्ड तराश रहा है पर अफसोस की इसके निर्माता से लेकर मजदूर तक सब की जिंदगी में गर्म आग और बुझी हुई राख़ के सिवा अब कुछ भी नहीं है। व्यवसायी अपने हित लाभ के लिए सरकार से उम्मीद लिए बैठे हैं पर अपने पीतल के बर्तनों में चमक लाने वाले मजदूरों के जीवन में चमक लाने की उनकी कोई सोच नहीं दिखती है।