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Supreme Court Judgement
दलितों-पिछड़ों का वर्गीकरण लेकिन ब्राह्मण-बनियों में क्रीमी लेयर का सवाल क्यों नहीं उठाया जा रहा है
पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट ने दलितों-पिछड़ों के क्रीमी लेयर आरक्षण पर अपना फैसला सुनाया हैं। लोग अपने-अपने तरीके से सुप्रीम कोर्ट के फैसले की व्याख्या कर रहे हैं। असल में मामला वर्गीकरण का था और फैसला वहीं तक सीमित रखा जाना चाहिए था लेकिन कोर्ट के बहुत से न्यायमूर्तियों की टिप्पणियाँ यह दिखा रही हैं कि बहुतों को तो आरक्षण नाम की व्यवस्था से ही परेशानी है। कुछ वर्षों से सुप्रीम कोर्ट और राज्यों में हाई कोर्ट के कई निर्णय ऐसे आए हैं जिनसे लगता है कि ब्राह्मणवादी शक्तियाँ इस प्रश्न को न्याय प्रक्रिया में उलझाना चाहती हैं। प्रस्तुत है सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले पर विद्या भूषण रावत का विश्लेषण।
EVM-VVPAT की विश्वसनीयता से जुड़े मामले पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई पूरी, कोर्ट ने सुरक्षित रखा फैसला
क्या ईवीएम मशीन में किसी भी दल का बटन दबाने पर वोट बीजेपी को जाता है ? चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में बताया इसका जवाब। आज EVM-VVPAT की विश्वसनीयता से जुड़े मामले पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई पूरी होने के बाद कोर्ट द्वारा फैसला सुरक्षित रख लिया गया है।

