Sunday, May 19, 2024

विद्या भूषण रावत

Lok Sabha Election : क्या राजपूतों का विरोध भाजपा के लिए भारी पड़ सकता है

बरसों तक सामंती तुर्रे में जी रहे राजपूतों को यह समझ में आ गया कि राजनैतिक रूप से उनकी कोई सामाजिक हैसियत नहीं रह गई है। राजस्थान से लेकर उत्तर प्रदेश तक राजपूत संगठनों ने सम्मेलन किए और वर्तमान भाजपा सरकार के प्रति अपने असंतोष को जाहिर किया। उन्होंने इस चुनाव में वर्तमान भाजपा सरकार को सत्ता से दूर करने की कसम खा ली। यह तो आने वाला समय ही बताएगा कि उनकी कसम का क्या राजनैतिक प्रभाव पड़ता है? लेकिन उन्होंने जिस तरह से बहुजन समाज के प्रति जिस तरह से अपनी पक्षधरता जाहिर की है, उसके संकेत सकारात्मक है

Lok Sabha election : क्या उत्तराखंड के पहाड़ भाजपा से मांगेंगे अपनी अस्मिता का जवाब? इस बार चौंका सकते हैं पहाड़ी राज्य के नतीजे

टिहरी सीट इस समय देश भर में चर्चा का विषय बन चुकी है क्योंकि युवा प्रत्याशी बॉबी पँवार ने भाजपा के लिए सिरदर्द पैदा कर दिया है। पिछले कुछ वर्षों में वह उत्तराखंड के युवाओं की आवाज बनकर उभरे हैं। उन्होंने पेपर लीक के खिलाफ पूरे प्रदेश के युवाओ के साथ आंदोलन किया जिसके चलते उन पर कई फर्जी मुकदमे दर्ज किये गए। बॉबी पँवार उत्तराखंड में चल रही बदलाव की आहट का प्रतीक हैं।

नेपाल में कर्णाली और भारत में घाघरा : हर कहीं नदियों के साथ हो रहा है दुर्व्यवहार

घाघरा उत्तर भारत में गंगा की सबसे बड़ी सहायक नदी है। भारत में यह नेपाल के चीसापानी से बहराइच जनपद में प्रवेश करती है। दरअसल, नेपाल में कैलाली प्रांत में तिब्बत के हिमनदों से निकलकर यह नदी बहुत बड़े हिस्से को प्रभावित करती है, जो वहाँ की जन संस्कृति और जैव विविधिता को जीवनदान देती है। तिब्बत में यह नदी मापचा चुँगो हिमनद पर समुद्र तल से 3962 मीटर ऊपर से निकलती है। फिर तिब्बत में यह मापचा सांपों के नाम से जानी जाती है। नेपाल में इसे कर्णाली नदी के नाम से जानते हैं। यह नेपाल की सबसे लंबी नदी है। इसकी लंबाई 507 किलोमीटर है। नेपाल में दो बड़ी नदियाँ कर्णाली में अपनी यात्रा समाप्त करती हैं। पहली है सेती नदी और दूसरी भेरी नदी। यह नेपालगंज के पास सुर्खेत में अपनी यात्रा समाप्त कर कर्णाली को और खूबसूरत बना देती है। चीन में कर्णाली नदी की अंदर कुल लंबाई 113 किलोमीटर है और नेपाल में यह 507 किलोमीटर लंबी है।

हरियाणा ने बांटा दिल्ली ने तबाह किया लेकिन पाँच नदियों ने भरा यमुना का दामन

उत्तराखंड में अभी तक नदियों पर बन रहे सभी प्रोजेक्ट जल विद्युत परियोजनाएँ हैं और सिंचाई या पीने के पानी के लिए अभी तक इन योजनाओं का उपयोग नहीं किया गया है लेकिन मैदानी क्षेत्र शुरू होते ही उत्तर प्रदेश, हरियाणा और दिल्ली पानी को लेकर उसका बंटवारा शुरू करते हैं। अंतर्राष्ट्रीय घुमक्कड़, जाने-माने लेखक और सामाजिक कार्यकर्ता  विद्या भूषण रावत कई साल से भारत की नदियों की यात्रा कर रहे हैं। हाल ही में चंबल की यात्रा से लौटे रावत जी ने यह मार्मिक ग्राउंड रिपोर्ट लिखी है :

ब्राह्मणवादी चालों और षड्यंत्रों को डुबाने के लिए अधिक गहरा नहीं है ठाकुर का कुआं

दुर्भाग्य से राजद के एक नेता की अभद्र भाषा में व्यक्त की गई प्रतिक्रिया ने मीडिया को जानबूझकर असल मुद्दे से ध्यान भटकाने में मदद की। इस विषय में मीडिया और ‘बुद्धिजीवियों’ की प्रतिक्रिया हास्यास्पद और पाखंडपूर्ण रही है। आनंद मोहन सिंह की 'जीभ काट डालता’  कहना कुछ और नहीं, बल्कि बिहार में राजपूतों को लामबंद करने का एक प्रयास था। धर्मनिरपेक्ष ब्राह्मणों ने मनोज झा की ओर से एक ऐसे मुद्दे का बचाव करने की कोशिश की है, जिसे उनके द्वारा संसद में जानबूझकर और पूरी तरह से संदर्भ से अलग जाकर उठाया गया था।

भील विद्रोह की ऐतिहासिक घटनाओं की बिखरी कड़ियों को जोड़ता महत्वपूर्ण दस्तावेज़

क्सर हमें 'बताया' जाता था कि स्वतंत्रता आंदोलन के कुछ 'नायक' और कुछ 'खलनायक' थे और फिर 'इतिहास' की 'राजनीतिक लड़ाई' लड़ने वाले इतिहासकार थे जो अपने-अपने तरीकों से इसकी व्याख्या कर रहे थे और दिलचस्प बात यह है कि वे सभी एक ही खित्ते के हैं। दोनों में से किसी ने भी वास्तव में इस बात की परवाह नहीं की कि भारत जैसे विशाल देश का इतिहास या ऐतिहासिक आंकड़ों को प्रस्तुत करने का अलग-अलग दृष्टिकोण हो सकता है। इतिहास दरअसल घटनाओं के बारे में जानकारी देता है न कि हम व्यक्तिगत रूप से क्या पसंद  या नापसंद करते हैं। तथ्य यह है कि इतिहास वर्तमान में हमारे 'भविष्य' को तय करने के लिए सबसे शक्तिशाली हथियार बन गया है।