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Varanasi : तीन किलोमीटर की रेंज के खिलाफ़ टोटो चालकों का सत्याग्रह
वाराणसी में ई-रिक्शा चालकों ने तीन किलोमीटर की रेंज के खिलाफ़ सत्याग्रह शुरू किया है। चालकों का कहना है कि इस नियम से उनकी आजीविका पर बुरा असर पड़ेगा है और वे रोजगार की संभावनाओं को सीमित कर रहा है। अनशन पर बैठे चालकों ने प्रशासन से मांग की है कि इस नियम को वापस लिया जाए और उनकी समस्याओं का समाधान किया जाए।
वाराणसी : ई रिक्शा चालक सीमित रूट तय होने और बार कोड की बाध्यता के विरोध में उठा रहे हैं आवाज
अपर्णा -
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र में ई रिक्शा चलाकर आजीविका चलाने वालों ने प्रशासन द्वारा एक ही थाना क्षेत्र में रिक्शा चलाए जाने के विरोध में चंदौली से समाजवादी पार्टी के सांसद वीरेंद्र सिंह से मिलकर उन्हें ज्ञापन दिया।
ई-रिक्शा चालकों का निवाला छीनने को वाराणसी प्रशासन क्यों आमादा है
अपर्णा -
प्राचीन काल से ही बनारस धार्मिक नगरी के रूप में पहचाना जाता रहा है लेकिन वर्ष 2014 के बाद, जब नरेंद्र मोदी ने यहाँ से चुनाव जीता, तब से लग रहा है कि काशी उन्होंने ही बनाई है। पक्के महाल को तोड़कर विश्वनाथ कॉरीडोर के निर्माण के चलते यह शहर पूरी दुनिया की नज़रों में आ गया। लेकिन बनारस को खूबसूरत बनाने के लिए लोगों के घरों को उजाड़ा गया। दुकानें तोड़ी गईं। इसी तरह शहर को जाम से बचाने के लिए ई रिक्शा को बढ़ावा दिया गया तथा कंपनियों ने हजारों ई रिक्शे बेच डाले। लेकिन ई रिक्शा भी शहर को जाममुक्त नहीं कर सके और अब जाम का ठीकरा रोज कमाने-खाने वाले ई-रिक्शा चालकों पर फूटा है। नए नियम के अनुसार ई-रिक्शे का रूट मात्र 2 से 3 किलोमीटर तय कर दिया गया। इससे 25 हजार ई रिक्शा चालक भूखे मरने की कगार पर आ गए हैं।