विनोद दुआ पत्रकारिता के एक चलते-फिरते संस्थान थे और उनके अनुभवों का दायरा बहुत व्यापक था। उन्हें उनकी सरोकारपूर्ण पत्रकारिता, निर्भीकता और बेबाकी के लिए भी हमेशा याद किया जाएगा। हिन्दी पत्रकारिता के चीखने-चिल्लाने के दौर में उन को एक संयमित, शिष्ट और संतुलित पत्रकार के रूप में भी याद किया जाएगा।