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Latest Articles
सामाजिक न्याय
आखिर संघी क्यों बी. एन. राव को डॉ अंबेडकर के समानान्तर खड़ा करना चाहते हैं?
हाल ही में ग्वालियर हाई कोर्ट परिसर में डॉ. भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा स्थापित करने के प्रयास ने एक अप्रत्याशित और बहुस्तरीय विवाद को जन्म दिया। वकीलों के एक वर्ग द्वारा इस पहल का स्वागत किया गया, जबकि दूसरे समूह ने यह कहते हुए आपत्ति उठाई कि न्यायालय परिसर में किसी भी प्रकार की स्थायी संरचना या मूर्ति स्थापना के लिए भवन समिति की पूर्व अनुमति आवश्यक है, जो इस मामले में प्राप्त नहीं की गई थी। किंतु यह तकनीकी आपत्ति शीघ्र ही वैचारिक और सांप्रदायिक रंग लेने लगी, जिसमें अंबेडकर की भूमिका, विचारधारा और प्रतीकात्मकता को निशाना बनाया गया।
राजनीति
संघ का ‘एकात्म मानववाद‘ बहुजन समाजों के विषमतापूर्ण विभाजन का दर्शन है
संघी विचारक बार-बार एकात्म मानववाद का बखान करते हैं और भारत के बहुजन समाजों को एक प्रतिगामी इतिहास से जोड़ने की साजिश करते हैं। व्यावहारिक तौर पर यह ब्राम्हणवादी मूल्यों को बढ़ावा देता है और इसके चलते मंदिर (मस्जिदों को ढहाया जाना), पवित्र गाय (लिंचिंग), लव जिहाद और धर्मपरिवर्तन एजेंडे के मुख्य मुद्दे बन गए हैं। इस विचारधारा की मान्यता यह है कि भारत को पहले मुस्लिम राजाओं और फिर अंग्रेजों ने गुलाम बनाया। यह विचारधारा हिंदू समाज की बहुत सी खराबियों के लिए, खासतौर से मुस्लिम राजाओं के अत्याचारों को दोषी मानती है। तथ्य यह है कि हिंदू धर्म की बहुत सी कमियां जाति, वर्ण और लिंग आधारित ऊंच-नीच की वजह से हैं जिनका जिक्र हिंदुओं द्वारा पवित्र मानी जाने वाले कई प्राचीन ग्रंथों में मिलता है।
राजनीति
बोधगया : महाबोधि मंदिर को ब्रह्मणवाद के कब्जे से मुक्ति जरूरी क्यों है?
आज खुलेआम धर्म का इस्तेमाल राजनैतिक एजेन्डे को आगे बढ़ाने के लिए किया जा रहा है। बौद्ध मंदिर का संचालन ब्राम्हणवादी तौर-तरीकों से हो रहा है और सूफी दरगाहों का ब्राम्हणीकरण किया जा रहा है। बौद्ध भिक्षु अपने पवित्र स्थान का संचालन उनकी अपनी आस्थाओं और मानकों के अनुसार करना चाहते हैं और उसके ब्राम्हणीकरण का विरोध कर रहे हैं।
राजनीति
क्या बिहार की राजनीति में नए अरविंद केजरीवाल होनेवाले हैं प्रशांत किशोर
प्रशांत किशोर की उपस्थिति ने बिहार की राजनीति को काफी हद तक गरमा दिया है हालांकि उनको लेकर ढेरों सवाल भी खड़े हो रहे हैं। खासतौर से प्रशांत किशोर को भाजपा की बी टीम के रूप में देखा जा रहा है। बरसों से बिहार की सत्ता पर चले आ रहे पिछड़ों के कब्जे पर सेंध लगाने के लिए भी प्रशांत किशोर को एक माकूल व्यक्ति माना जा रहा है। लेकिन बातें इतनी आसान नहीं हैं। यह तो भविष्य बताएगा कि प्रशांत किशोर क्या रंग दिखाते हैं लेकिन उनकी राजनीति में शामिल घटकों का बेबाक विश्लेषण कर रहे हैं मनीष शर्मा।
राजनीति
बिहार चुनाव में मोदी-नीतीश की चुनावी रणनीति क्या होगी?
प्रधानमंत्री मोदी अपने जंगलराज को ढंकने की रणनीति के तहत ही,शायद बस्तर नरसंहार को बिहार में एजेंडा बना रहे है और बिहार में 2014 बाद से माओवाद को लगभग ख़त्म कर देने का श्रेय लेने की कोशिश अपने संबोधन में कर रहे हैं। हालांकि इस नए नैरेटिव के बावजूद यह देखना बाकी है कि पुराना जंगलराज का नैरेटिव अभी की नई परिस्थितियों में भी कितना कारगर हो पाएगा।
शिक्षा
छतीसगढ़ शिक्षा विभाग : सरकार की गति कुछ और भविष्य की दिशा कोई और
छत्तीसगढ़ में भाजपा शासन में 4077 विद्यालय बंद किए जा चुके हैं। सरकार शिक्षा के स्तर सुधारने और नई भर्ती करने की बजाए उसे बिगाड़ने का काम कर गाँव के बच्चों को पढ़ाई से वंचित करने की व्यवस्था बना रही है। सदैव से भाजपा की यही रणनीति रही है कि शिक्षा एक खास वर्ग ही हासिल कर पाए। भाजपाशासित प्रदेशों में शिक्षा और शिक्षा नीति में लगातार बदलाव कर तर्क सम्मत पाठ्यक्रमों को हटाकार धार्मिक विषयों को शामिल करने की होड़ लगी है।
पूर्वांचल
वाराणसी : बच्चों एवं अभिभावकों के समर कैम्प का समापन
इग्नस पहल द्वारा ग्रामसभा मधुमखियाँ में आयोजित तीन दिवसीय समर कैम्प का आज सफलतापूर्वक समापन हुआ। यह कैम्प ग्रीष्मकालीन अवकाश के दौरान बच्चों को शिक्षा, खेल और रचनात्मक गतिविधियों के माध्यम से सीखने से जोड़े रखने का एक प्रयास था।
राष्ट्रीय
पहलगाम त्रासदी पर विदेश में भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने पहुंचकर क्या संदेश दिया?
पहलगाम की नृशंस घटना की निंदा करने के लिए हिंदू-मुसलमान दोनों एक साथ आए। इसके बाद भी मुसलमानों के खिलाफ लगातार नफरत फैलाई जा रही है। इस त्रासदी के बाद मुसलमानों के खिलाफ निर्मित नफरत चरम पर है। पहलगाम त्रासदी पर हुई कार्रवाई के बाद देश के प्रधानमंत्री ने विदेश में विभिन्न प्रतिनिधिमंडल भेजकर इस त्रासदी का भारतीय पक्ष बताने का फैसला किया। प्रधानमंत्री को यह क्यों जरूरी लगा? क्या प्रधानमंत्री अपने द्वारा उठाए गए कदम का स्पष्टीकरण देते हुए विदेशी नेताओं की शाबासी लेने के इच्छुक थे?