बी आर विप्लवी
संस्कृति
लाल रत्नाकर की कलाकृतियों में सामाजिक न्याय की अक्काशी
डाक्टर लाल रत्नाकर ने ही इन चित्रों की गहरी खोजबीन की है। यही नहीं उन्होंने विभिन्न कोल्हुओं पर बने चित्रों का तुलनात्मक अध्ययन भी किया है। ज़्यादातर कलाकृतियों में ग्रामीण-जीवन से जुड़ी हुई परिपाटियों, पक्षियों, वृक्षों आदि चित्रणों को देखा जा सकता है। रुचिकर विषय यह भी है कि हथौड़ी-छेनी के ज़रिए, बिना किसी ट्रेनिंग के, ये शिल्पी और मज़दूर कितनी बारीकी से चित्रों को उकेरे हैं। इन्हें देख कर पुराने अजंता-एलोरा के चित्र याद आने लगते हैं। कुल मिलाकर डॉ लाल रत्नाकर ने चित्र कला और शिल्प कला के इस अनोखे युग्म को खोज निकाला है तथा इसमें छिपी हुई लोक संस्कृति को भी परिभाषित किया है ।