दिलीप बीदावत
लेखक बीकानेर में रहते हैं।
विविध
राजस्थान : पर्यावरण संरक्षण, पारंपरिक तरीके और ग्राम समुदाय की सहभागिता से संभव है
पूरी दुनिया में विकास के बदले पर्यावरण को जो नुकसान पहुंचा है, उसका खामियाजा लगातार असमय जलवायु परिवर्तन के माध्यम से भुगत रहे हैं। इन दिनों भारत में गर्मी का तापमान 52 डिग्री तक पहुँच जाना खतरे का संकेत है। विकास के नाम पर लाखों पेड़ों की कटाई से जल,जंगल,जमीन में रहने वाले कुछ जीव-जन्तु,, पेड़-पौधे लुप्तप्राय हो चुके हैं। पहले के पारंपरिक प्रयास भले ही जीवन को धीमी गति से आगे बढ़ाते थे लेकिन तब पर्यावरण सुरक्षित था। अब यह तो संभव नहीं है लेकिन नए तरीकों से काम करते हुए भी पर्यावरण संरक्षित करने का प्रयास शुरू कर देना चाहिए।