Thursday, November 21, 2024
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पूर्वांचल का चेहरा - पूर्वांचल की आवाज़

एल एस हरदेनिया

क्या हमारे देश में डेमोक्रेसी को करोड़पतियों ने हाइजैक कर लिया है?

जिस तरह की डेमोक्रेसी आज हमारे देश में चल रही है, उसे करोड़ोक्रेसी कहना ज्यादा सही होगा। अब कल महाराष्ट में भाजपा के सांसद और महाराष्ट्र के महासचिव ने मतदान के एक दिन पहले जिस तरह करोड़ों रूपये बांटते हुए पकडे गए, उससे चुनाव आयोग को लेकर निश्चय ही अति अविश्वास की स्थिति पैदा हुई है। यदि चुनाव आयोग के हाथ में कुछ भी नहीं रह गया है तो इसे खत्म कर देना चाहिए और यह जिम्मेदारी सत्तारूढ़ पार्टी के हाथों में खुलकर दे देनी चाहिए, जैसा कि अभी है।

राष्ट्रीय झंडे को लेकर संविधान सभा में नेहरु द्वारा दिया गया भाषण

आज महान क्रांतिकारी, देश के पहले प्रधानमंत्री, शांतिदूत, चिंतक एवं लेखक पंडित जवाहरलाल नेहरू का जन्मदिन है। परम्परा के अनुसार दुनिया में अपने पुरखों को याद किया जाता है। हमारे पुरखे कैसे भी हों हम उन्हें याद करते हैं। एक चपरासी का पुत्र यदि आईएएस बन जाता है तो उसका सारा श्रेय वह अपने पिता को देता है। दूसरे देशों में भी यह परम्परा कायम है। चीन में भले ही कम्युनिस्ट क्रांति हुई हो और कम्युनिस्टों का राज आ गया हो फिर भी वहां सुन यात-सेन को याद किया जाता है। क्यूबा में फिडेल केस्ट्रो अपने देश के अनेक क्रांतिकारियों को याद करते हैं। मैंने स्वयं अपनी क्यूबा यात्रा के दौरान केस्ट्रो को वहां के पूर्वजों को याद करते सुना है। अमरीका में वहां के राष्ट्र की स्थापना करने वाले वाशिंगटन को अमरीका की क्रांति के दिवस पर याद किया जाता है। अमरीका ने उन्हें सबसे बड़ी श्रद्धांजलि अपनी राजधानी को उनके नाम पर रखकर दी है। देश के अनेक अखबार 14 नवंबर को जवाहरलाल नेहरू को याद नहीं करते हैं। मेरे घर प्रतिदिन अनेक अखबार आते हैं। मैं देख रहा हूं कि एक-दो अखबारों को छोड़कर किसी ने उन्हें याद नहीं किया आखिर क्यों? उनके जन्मदिन पर उन्हें हम याद करते हुए, अपनी ओर से और अपने साथ जुड़ी संस्थाओं की ओर से पंडित जवाहरलाल नेहरू को श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं। न सिर्फ भारत के नेता के रूप में बल्कि एक विश्व नेता के रूप में भी। इस अवसर पर मैं जवाहरलाल नेहरू द्वारा दिये गये एक भाषण को जारी कर रहा हूँ जो उन्होंने हमारे तिरंगे झंडे के सम्मान में संविधान सभा में दिया था।

Lok Sabha Election : मध्य प्रदेश में, जनता राजनैतिक दलों की असलियत समझ वोट डालने से बच रही है 

पिछले दस वर्षों में सत्ता में बैठे लोगों ने जनता के लिए क्या काम किया? इस बात को जनता भली-भांति समझ चुकी है। चुनाव में खड़े प्रत्याशियों को कहीं काले झंडे दिखाये जा रहे हैं तो कहीं उन्हें गाँव में घुसने नहीं दिया जा रहा है। लेकिन कहीं-कहीं जनता वोट न डाल अपनी गुस्सा जाहिर कर रही है। इसी वजह से इस बार वोट का प्रतिशत पिछले चुनाव के बनिस्बत कम है।

मध्य प्रदेश : लोकसभा चुनाव से पहले ही प्रदेश में कांग्रेस संगठन में मचा घमासान

लोकसभा चुनाव नजदीक है और कांग्रेस नेता लगातार पार्टी से इस्तीफा देते हुए भाजपा में शामिल हो रहे हैं। लोगों क कहना है, इससे 150 वर्ष पुरानी कांग्रेस पर आने वाले चुनाव में नकारात्मक असर दिखाई देगा ।