Sunday, September 8, 2024
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मेरा बचपन मेरे कंधों पर

दलित आत्मकथाओं में भूख और भोजन का चित्रण

दूसरा और अंतिम भाग  प्रसिद्ध वरिष्ठ साहित्यकार ओमप्रकाश बाल्मीकि  की जूठन  में भूख और भोजन के कई मार्मिक और आँखों में आँसू लाने वाले किस्से...

दलित आत्मकथाओं ने हिन्दू समाज का दोरंगा चरित्र पूरी दुनिया के सामने बेनकाब किया है

हिन्दी में दलित साहित्य अस्सी के दशक में अपना आकार लेता हुआ प्रतीत होता है। इस दशक में ही हिन्दी दलित कवियों के काव्य...

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