एक व्यक्ति ने मेरे ऐन सामने ‘सूत्रधार’ को उठाकर ऐसा फेंका कि वह नाली तक चला गया
पहला संवाद
हेलो....नमस्कार दादा ! मैं रविशंकर।
हां, नमस्कार रवि जी
क्या कर रहे हैं दादा ?
हां, यहां प्रकृति का सौंदर्य है। बस…
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