भूमि अधिग्रहण अधिनियम कहता है कि बिना उचित सहमति और उचित मुआवज़े के सार्वजनिक या औद्योगिक उद्देश्यों के लिए भूमि नहीं ली जा सकती, लेकिन गारे के ग्रामीणों को अपनी भूमि और संपत्ति के अधिकार की रक्षा के लिए शक्तिशाली कंपनियों के खिलाफ लड़ाई में अकेला छोड़ दिया गया है। पढ़िए राजेश त्रिपाठी की तमनार से ग्राउंड रिपोर्ट