आँगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की बड़ी संख्या अत्यंत गरीब दलितो-पिछड़े समुदायों और जातियों से ताल्लुक रखता है जिनके बारे में यह नैरेटिव गढ़ा जा चुका है कि वे किसी भी कठिन परिस्थिति में जी लेते हैं। उनकी मौलिक और बुनियादी समस्याओं को जितना अधिक टाला जा सके टालते रहा जाय। जबकि वे आगे आने वाली पौध की नींव रखती हैं, उन बच्चों को सामाजिक बनाने और आपसी सामंजस्य बिठाने का पहला काम यही आंगनवाड़ी कार्यकर्ता करती हैं।
शिक्षा के बारे में डॉ. अंबेडकर का कहना है कि वह शेरनी का दूध है जो भी पिएगा वह दहाड़ेगा। सुमन को देखकर लगता है कि वह भी शेरनी का दूध पी रही हैं। उनमें जो आत्मविश्वास है वह उन्हें किसी जगह झुकने नहीं देगा। एक माँ के रूप में वह अपने बच्चों की उच्च शिक्षा का सपना देखती हैं। लेकिन स्वयं अपने भी अधूरे सपने को पूरा करने में जी जान से लगी हैं।