स्टार्ट-अप इंडिया और मेक इन इंडिया जैसी योजनाओं को अगर ठीक से लागू किया जाए तो निकट भविष्य में वांछित परिणाम मिलेंगे। आने वाले वर्षों में बड़ी युवा और कामकाजी आबादी अपने और अन्य राज्यों के शहरी क्षेत्रों में स्थानांतरित हो जाएगी, जिससे शहरी आबादी में तेजी से और बड़े पैमाने पर वृद्धि होगी। इन पलायन करने वाले लोगों को शहरी क्षेत्रों में बुनियादी सुविधाओं, स्वास्थ्य और सामाजिक सेवाओं तक कैसे पहुंच प्राप्त हो सकती है, इस पर शहरी नीति नियोजन का ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है।
21 सालों के सफर में जहाँ राज्य ने कई कीर्तिमान बनाये हैं वहीं कई स्तर पर कई तरह की चुनौतियाँ आज भी मौजूद हैं। यह सच है कि कोविड जैसी वैश्विक महामारी ने पिछले डेढ़ दो सालों में जान माल का भारी नुक़सान तो किया ही, विकास की गति को भी अवरुद्ध किया है। जिसकी वजह से राज्य के कुल बजट की राशि का अभी तक लगभग 31 प्रतिशत ही खर्च हो पाया है जबकि वित्तीय वर्ष समाप्ति के मात्र चार पांच महीने ही शेष बचे हैं।