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Bhimrao Ramji Ambedkar
डॉ. अंबेडकर के मूल्यों पर हमला और उनकी मूर्ति पर माला चढ़ाने वाले आज ताकत के चरम पर हैं
महात्मा ज्योतिबा फुले हों या डॉ. बाबासाहब अंबेडकर, दोनों की प्राथमिकता सामाजिक समता की लड़ाई में होने के कारण लोगों को लगता होगा कि वह आजादी के आंदोलन में शामिल नहीं थे। 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के दौरान महात्मा ज्योतिबा फुले तीस साल की उम्र के थे।उन्होंने उस संग्राम में हिस्सेदारी नहीं की, क्योंकि उनके जन्म होने के नौ साल पहले ही पेशवाओं का राज खत्म हुआ था, फिर भी डोरी जल गई लेकिन बल नहीं गया वाली कहावत की तरह पुणे में छुआछूत और जाति-व्यवस्था की पद्धति बदस्तूर जारी थी।

