राज्य की सभी विधानसभा क्षेत्रों में किसान संगठनों की साझा बैठकें, प्रेस वार्ता, रैलियां, सभाएं और घर-घर एस.के.एम द्वारा जारी पर्चा के व्यापक कार्यक्रम होंगे। मिशन यूपी के इस नए चरण की शुरूआत 3 फरवरी को प्रेस वार्ता के साथ होगी। बैठक के दौरान बजट पर अनौपचारिक चर्चा के दौरान किसान संगठनों के प्रतिनिधियों ने बजट को संघर्षरत किसानों से सरकार का बदला करार दिया। बजट एमएसपी और किसानों की आय दोगुनी करने के सरकार के खोखले वादों को उजागर करता है।
कहां की फसल की लागत मूल्य पर डेढ़ गुना बढ़ाने का दावा पहले भी कर दिए गए हैं, यह जानते नहीं कि फसल की लागत कितनी है। पहले सीमांत तथा लघु सीमांत किसानों की श्रेणी का पता नहीं चलता, जबकि अब यह पैमाना देखना होगा कि कितनी लागत फसल में लगी है। जिसके लिए सबसे पहले तो कृषि को उद्योग का दर्जा मिलने सहित किसान आयोग का गठन होना चाहिए। स्वामीनाथन आयोग के सिफारिशो को तत्काल लागू करना चाहिए। जिससे किसानों को कृषि में लाभ मिले।