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सत्ता ने पत्रकारों के खिलाफ पूरी घेरेबंदी कर ली है

उत्‍तर प्रदेश में पूरब से लेकर पश्चिम तक 2019 में आजमायी जा रही थी। खबर दिखाने का मतलब प्रशासन को बदनाम करना स्‍थापित किया जा रहा था जो देश को बदनाम करने और अंतत: मुख्‍यमंत्री को बदनाम करने तक आ चुका था। कुल मिलाकर संदेश यह दिया जा रहा था कि नियमित पत्रकारिता का कर्म दरअसल देशद्रोह की श्रेणी में आ सकता है; देश का मतलब है मुख्‍यमंत्री और मुख्‍यमंत्री का मतलब है स्‍थानीय प्रशासन।

उत्तर प्रदेश में पिछले पाँच वर्ष में हुये पत्रकारों पर हमले

2020 में कुल सात पत्रकार राज्‍य में मारे गये- राकेश सिंह, सूरज पांडे, उदय पासवान, रतन सिंह, विक्रम जोशी, फराज़ असलम और शुभम मणि त्रिपाठी। राकेश सिंह का केस कई जगह राकेश सिंह 'निर्भीक' के नाम से भी रिपोर्ट हुआ है। बलरामपुर में उन्‍हें घर में आग लगाकर दबंगों ने मार डाला। रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स की पड़ताल बताती है कि भ्रष्‍टाचार को उजागर करने के चलते उनकी जान ली गयी।

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