बीस राजनानैतिक दलों ने चुनावी बॉन्ड से चन्दा उगाही की है। केवल माकपा ने चंदा भी नहीं लिया और कोर्ट में इस गोरखधंधा को उजागर करने के लिए चुनौती दी है।सर्वोच्च न्यायालय ने चुनावी बॉन्ड रद्द करते हुए मतदाताओं के पक्ष में कहते हुए फैसला दिया कि कंपनियां भारी फंडिंग करती है, तो क्या निर्वाचित लोग मतदाताओं के प्रति उत्तरदायी होंगे?