राहुल गांधी की तारीफ में भाजपा के नेता भारतरत्न लालकृष्ण आडवाणी का यह कहना कि इस व्यक्ति में निर्णय लेने की गजब की क्षमता तो है ही साथ ही इस देश को आगे ले जाने की भी अपार क्षमता है, इससे भाजपा के लोग ही नहीं बल्कि इंडिया गठबंधन के भी कई नेता सकते में आ गए हैं।
सदियों से शक्ति के समस्त स्रोतों पर सवर्णों का अधिकार रहा है। देखा जाय तो भेदभाव और अवसरों की कमी झेलने वाली 70 प्रतिशत आबादी को असमानताताओं के दल-दल से निकालने के जरूरत है। कांग्रेस का घोषणा पत्र इस दिशा में उम्मीद की एक किरण बना हुआ है।
कांग्रेस का घोषणा पत्र पूरी तरह से आंबेडकरवाद से प्रभावित है। इस घोषणा पत्र में दलित, आदिवासी,पिछड़ों के उत्थान के मार्ग को प्रशस्त करने का खाका खीचा गया है। इसी कड़ी में विविधता आयोग की स्थापना करने का वादा कर कांग्रेस ने आंबेडकरवाद को सम्मान देने का ऐतिहासिक कार्य भी किया है।
विगत कई जनसभाओं में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कांग्रेस के घोषणापत्र के खिलाफ तथ्यहीन बातें की हैं क्या वह उनकी संभावित हार और अपने विकास कार्यों के प्रति जनता के अविश्वास का नतीजा है। आखिर वह क्यों इतनी अनर्गल और सांप्रदायिक बातें कर रहे हैं?
कांग्रेस पार्टी का चुनावी घोषणापत्र जारी होने के बाद चर्चा में है, इस घोषणा पत्र में पाँच न्याय और 25 गारंटियाँ हैं। युवा, आदिवासी, दलित, श्रमिक, किसान, महिला और पिछड़ों को ध्यान में रखते हुए इसे जारी किया गया है। कांग्रेस के इस घोषणा पत्र से चुनाव में क्या प्रभाव पड़ेगा? यह 4 जून को ही सामने आएगा।