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हिंदुत्व का अर्थशास्त्र और संघ का संविधान विरोध

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह-कार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले द्वारा संविधान बदलने के सियासी बयान को लेकर भारत की राजनीति में एक बार फिर उबाल आ गया है। गुरुवार को दिल्ली में एक कार्यक्रम के दौरान दत्तात्रेय होसबाले ने कहा था कि 1976 में आपातकाल के दौरान 'समाजवादी' और 'धर्मनिरपेक्ष' शब्दों को जबरन संविधान में जोड़ा गया था और अब वक्त आ गया है कि इन्हें हटाया जाए। उन्होंने कहा, बाबा साहेब आंबेडकर ने जो संविधान बनाया, उसकी प्रस्तावना में ये शब्द नहीं थे। आपातकाल में जब मौलिक अधिकार निलंबित कर दिए गए, न्याय पालिका पंगु हो गई थी, तब ये शब्द जोड़े गए। इस पर विचार होना चाहिए कि क्या इन्हें प्रस्तावना में रहना चाहिए?

देश के नागरिकों को मौलिकता का अधिकार देता है संविधान

राबर्ट्सगंज। नगर स्थित कुशवाहा भवन में मौर्य बंधुत्व क्लब द्वारा कार्यशाला का आयोजन किया गया। मुख्य अतिथि सपा के पूर्व विधायक अविनाश कुशवाहा व...

दिल्ली में तानाशाही का हमला जारी है

दिल्ली। राजधानी दिल्ली के प्रशासनिक तंत्र और खासतौर पर नौकरशाही के ढांचे पर अपना सीधा नियंत्रण बनाए रखने के लिए मोदी सरकार द्वारा शुक्रवार...

प्रगतिशील नागरिकता के लिए जरूरी है ‘जीवन में संविधान’

किसी भी देश का संविधान उस देश की आत्मा होती है, इसी के अनुरूप ही देश की शासन व्यवस्था संचालित होती है। जिस तरह...

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