TAG
dr.ambedkar
मेरिट का मिथक : अपनी करनी से गांधी सिर्फ सवर्णों के राष्ट्रपिता हो सकते थे
तथाकथित मेरिटधारियों ने समाज में अपने झूठे वर्चस्व को बनाये रखने का उपक्रम आज से ही नहीं बल्कि प्राचीन समय से बनाया हुआ है. ब्राह्मणों ने इस वर्चस्व के लिए ग्रंथों, वेद-पुराण और अन्य धार्मिक ग्रंथों में खुद इसका उल्लेख कर अपनी श्रेष्ठता को स्थापित कर हमेशा शूद्रों को उनके अधिकारों से वंचित किया है. मूलचन्द सोनकर ने तथ्यामक रूप से अनेक उदाहरणों के माध्यम से उनके स्थापित झूठे मूल्यों की मजम्मत की है.. पढ़िए उनके विचार समाज की चिंता को दर्शाते हुए। प्रस्तुत आलेख गाँव के लोग 2018 के अंक प्रकाशित हुआ था।

