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कागजी है पैरहन, हर पैकर-ए-तस्वीर का (डायरी, 25 दिसंबर 2021)
पूरे साल का यह एकमात्र दिन होता है जब मैं खुद को गम के अंधेरे में पाता हूं। लगता ही नहीं है कि मेरे...
दर्द के दरिया से वही पार हुआ जिसने सहा नहीं कहा
गालिब कहते हैं कि दिल ही तो है न संग-ओ-खिश्त दर्द से भर न आए क्यूँ / रोएँगे हम हज़ार बार, कोई हमें सताये...