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gandhi ji
इतिहास बताता है कि सर्व सेवा संघ की जड़ों में बहुत पहले ही दीमक लग चुकी थी
तीस जनवरी, 1933 के दिन हिटलर ने जर्मनी के चांसलर पद की शपथ ली थी। (30 जनवरी के दिन ही गाँधीजी की गोली मारकर...
संविधान और डॉ. अम्बेडकर
भारत की स्वतंत्रता कोई एकाकी घटना नहीं थी। वास्तव में इसके साथ आजादी के मायनों की गंभीर पड़ताल भी जुड़ी हुई है। इसी के...
क्या हिमांशु कुमार ने कोई कानून तोड़ा है?
14 जुलाई, 2022 को सर्वोच्च न्यायालय ने हिमांशु कुमार द्वारा दायर याचिका पर फैसला सुनाया। उनके द्वारा दिए तथ्यों और प्रत्यक्षदर्शियों द्वारा देखे हत्याकांड...
एक नयी और दिलचस्प टकराहट (डायरी, 23 दिसंबर 2021)
मैं एक बात सोच रहा हूं देश के संसद के बारे में। मेरी जेहन में राष्ट्रीय गीत की बातें हैं। दरअसल कल संसद का...
फासिस्ट सत्ता को उखाड़ फेंकने के लिए छालों की परवाह नहीं
दोलन कई सरकारी षडयंत्रों का निशाना बनाया गया है। लखीमपुर खीरी में निर्दोष किसानों पर गाड़ी चढ़ा दिया गया जिसमें चार किसान शहीद हुये। लेकिन लगता है आंदोलन की आंच अब पूरे देश में फैल रही है। ये लोग जो चंपारण से पदयात्रा करके यहाँ तक आए हैं वे अपने हिस्से का संघर्ष उन तमाम लोगों के बीच ले जाना चाहते हैं जिनके भीतर किसानों के लिए संवेदना है।