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Hate Speech
Lok Sabha Election : पीएम मोदी के नफरती भाषण के बाद 17,000 लोगों ने कार्रवाई की मांग की, निर्वाचन आयोग की भूमिका पर उठ...
मुस्लिम समुदाय के खिलाफ आपत्तिजनक शब्दों का इस्तेमाल करने के साथ ही पीएम मोदी ने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के एक पुराने बयान में झूठ का तड़का लगाते हुए उसे तोड़-मरोड़कर पेश किया।
भाषायी अराजकता और असभ्यता को रोकने के लिए जरूरी है आचरण नियमावली
आज मुझे राजनीति का पुराना चलन याद आ रहा है, जब सत्ता पक्ष और विपक्ष के सदस्य सदन में एक दूसरे का वैचारिक आधार...
स्याह सियासत का दौर और गर्त में जाता देश
अक्सर लोग अपने और अपने परिवार के बारे में सोचते हैं। परिवार के दु:ख-सुख की सीमा ही उनका कार्य-क्षेत्र होता है। कुछ जाति और...
हिंदुत्व की राजनीति सिर्फ नफ़रत को बढ़ावा देगी
पिछले कुछ महीनों में देश में कई ऐसी घिनौनी घटनाएं हुईं हैं, जिनसे यह पता चलता है कि हमारे समाज में नफरत का ज़हर...
भाषाई अराजकता और असभ्यता के दौर में राजनीति
आजकल राजनीतिक विरोधियों और दूसरी विचारधारा के लोगों के खिलाफ गुस्सा और उनसे अलग मत ज़ाहिर करने के लिए भाषाई हिंसा का बेरोक–टोक इस्तेमाल...
समाज के ताने-बाने को ध्वस्त करती ‘हेट स्पीच’
यह बातचीत, मध्यस्थता और मध्यस्थता के माध्यम से हेट स्पीच की समस्या का समाधान करने का एक बेहतर तरीका है। भारत में शिक्षा प्रणाली दूसरों के प्रति सहिष्णुता, करुणा और सम्मान को बढ़ावा देने में मदद कर सकती है। लोगों को विविधता, एक बहुलवादी समाज के महत्व और भारत की एकता में इसके योगदान के बारे में जागरूक किया जाना चाहिए। सोशल मीडिया के उद्भव ने हेट स्पीच के निर्माण, पैकेजिंग और प्रसार के लिए कई मंच तैयार किए हैं।
बलि के बकरे और पवित्र गाएं
जैसे-जैसे ये प्रचारक आरएसएस की राजनैतिक व अन्य शाखाओं में उच्च स्तर पर पहुँचते जाते हैं, उन्हें अपने अन्दर भरी नफरत को मीठी चाशनी में लपेट कर परोसना सिखाया जाता है। इसी के चलते आरएसएस के मुखिया कहते हैं कि देश के सभी निवासी हिन्दू हैं और वसुधैव कुटुम्बकम् की भावना पर जोर देते हैं। यहाँ तक कि इससे प्रभावित होकर कई चिंतकों और अध्येताओं को लगने लगता है कि आरएसएस के साथ संवाद स्थापित किया जाना चाहिए।