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सिनेमा का सफरनामा : बेचैन रूहों की पहली पीढ़ी
सिनेमा हमेशा एक घटना की तरह जनमानस में शामिल होता रहा है और वह समाज और देश में होनेवाली घटनाओं को भी अपने भीतर समेट लेता है। एक सौ वर्ष के सिनेमा के अतीत के साथ ही भारत और दुनिया के अतीत की अनगिनत घटनाएँ जुड़ी हुई हैं। विश्वयुद्ध, क्रांतियाँ, भारतीय राष्ट्रीय मुक्ति आंदोलन, स्वतन्त्रता, विभाजन, राष्ट्रीयकरण और हरितक्रांति से लेकर भूमंडलीकरण और सरमायेदारी के नए दौर के बीच की असंख्य छोटी-बड़ी घटनाएँ। और स्वयं सिनेमा ने समाज पर जो असर डाला है वह अनेक घटनाओं के होने की प्रेरणा भी बना। सिनेमा ने समाज की सोच को बदला है और अनेक जड़ताओं को तोड़कर उसे आगे बढ़ने की प्रेरणा भी दी है।

