लोकतान्त्रिक देशों में अभिव्यक्ति की आजादी पर रोक लगे या बोलने वाले पर हमला किया जाए, तब इसे फासीवाद की संज्ञा दी जाती है। अभी 4 जून को इस विशाल लोकतान्त्रिक देश में नए चुनाव हुए। मतदातओं के हिंदुत्ववादी राजनीति के व्यापक निषेध के बावजूद फासीवाद दौर खत्म नहीं हुआ बल्कि अब अधिक बर्बर रूप में सामने आने की आशंका है।