राहुल गांधी को राजनीति विरासत में मिली, जिसके चलते उन्हें तुरंत ही सबके प्रिय और बड़े नेता बन जाना था लेकिन ऐसा हुआ नहीं। अपने को साबित करने के लिए उन्होंने खुद को पूरी तरह झोंक दिया। 2014 के बाद भाजपा ने गोदी मीडिया के माध्यम से पूरी तरह से उन्हें एक कमजोर, अपरिपक्व और नासमझ नेता बताते हुए प्रचार-प्रसार किया। राहुल ने हार नहीं मानी। जनता के बीच लोकप्रिय होने के साथ ही, सड़क से संसद तक अपने को साबित किया।