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Kathakar Sanjeev
भिखारी ठाकुर के अथक राही, अन्वेषक, संपादक और आश्रम के संस्थापक महामंत्री रामदास
रामदास राही के जीवन का सबसे बड़ा हासिल भिखारी ठाकुर थे। उन्होंने आजीवन उनके बारे में खोज की। उनकी बिखरी रचनाओं को इकट्ठा किया, सँजोया और संपादित किया। जिससे भी मिलते उसको भिखारी ठाकुर के बारे में इतनी बातें बताते कि उसके ज्ञान में कुछ ण कुछ इजाफ़ा करते। सच तो यह है कि रामदास राही ने जीवन भर भिखारी ठाकुर की पूजा की। अगर वह थोड़े चालाक होते तो भिखारी ठाकुर के नाम पर कोई एनजीओ खड़ा करते और बड़ी गाड़ियों से चलते लेकिन उनका तो सिर्फ इतना सपना था कि किसी तरह भिखारी ठाकुर पर एक किताब और छप जाये। कल यानि 4 दिसंबर को उन्होंने इस संसार को अलविदा कह दिया। बनारस में उनके बहुत प्रिय रहे अध्यापक और कवि दीपक शर्मा उनके यहाँ आने पर गाँव के लोग के दफ़्तर में ले आते। राही जी अद्भुत व्यक्ति थे और उनसे बात करना हमेशा सुखद रहा। उनके प्रयाण पर पेश है दीपक शर्मा का श्रद्धांजलि लेख।
देर आए दुरुस्त आए : संजीव को दिया जाएगा साहित्य अकादमी सम्मान
इस साल का साहित्य अकादमी सम्मान हिन्दी साहित्य के लिए कथाकार संजीव को दिया जा रहा है। इसका ऐलान साहित्य अकादमी के सचिव डॉक्टर...

