जिस तरह की डेमोक्रेसी आज हमारे देश में चल रही है, उसे करोड़ोक्रेसी कहना ज्यादा सही होगा। अब कल महाराष्ट में भाजपा के सांसद और महाराष्ट्र के महासचिव ने मतदान के एक दिन पहले जिस तरह करोड़ों रूपये बांटते हुए पकडे गए, उससे चुनाव आयोग को लेकर निश्चय ही अति अविश्वास की स्थिति पैदा हुई है। यदि चुनाव आयोग के हाथ में कुछ भी नहीं रह गया है तो इसे खत्म कर देना चाहिए और यह जिम्मेदारी सत्तारूढ़ पार्टी के हाथों में खुलकर दे देनी चाहिए, जैसा कि अभी है।
भाजपा का यह रिकॉर्ड रहा है कि जब-जब केंद्र या राज्यों में चुनाव होना होते हैं, वे ऐसी परिस्थिति पैदा कर देते हैं ताकि धार्मिक ध्रुविकारण का पूरा लाभ मिल सके। अभी हमारे पड़ोसी देश बांग्लादेश में तख्तापलट के बाद जिस तरह की स्थितियाँ पैदा हुई हैं, उसके लिए वे चिंतित कम नजर आ रहे हैं बल्कि महाराष्ट्र चुनाव में वहाँ के हिंदुओं को लेकर धार्मिक ध्रुवीकरण का खेल शुरू कर चुके हैं।